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आवश्यकता है -•- विशेषज्ञोंकी

३. विदेशी वस्त्रोंके प्रयोगका बहिष्कार कीजिए, भले ही आपको सिर्फ लँगोटी पहनकर ही गुजारा क्यों न करना पड़े। जो भी समय बचे, उसमें चरखा चलाइए। जब हम ये शर्तें पूरी कर देंगे तभी हम सविनय अवज्ञाके लिए तैयार माने जायेंगे, जो जबरदस्तसे-जबरदस्त सरकारको भी जनताकी इच्छाके आगे झुकनेको मजबूर कर देगी।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया,२२-९-१९२१

७६. आवश्यकता है - विशेषज्ञोंकी

हाथ-कताईकी बड़ी आलोचना की गई है, फिर भी मैं अपने इस विश्वासपर दृढ़ हूँ कि यह सुन्दर कला जबतक भारतके घर-घरमें प्रवेश नहीं कर जाती तबतक स्वराज्य प्राप्त नहीं हो सकता। इस मान्यताके पीछे जो दलील है, वह अत्यन्त साफ-सीधी है। जबतक भारतका घर-घर आत्म-निर्भर नहीं हो जाता, भारत जीवित नहीं रह सकता। और भारतके सभी घर तबतक आत्मनिर्भर नहीं हो सकते जबतक उनके पास कोई पूरक धन्धा नहीं होता। इसलिए अगर हमारा सारा कपड़ा मिलोंमें ही तैयार होने लगे तो उससे कोई काम नहीं बनेगा। अगर हाथ-कताईका प्रचलन घर-घरमें हो जाता है तो प्रत्येक परिवार वस्त्र उत्पादनसे होनेवाली करोड़ों रुपयेकी आयमें हिस्सेदार होगा, और इसके वितरणके लिए किसी उलझनभरी व्यवस्थाकी भी जरूरत नहीं होगी। भारतमें अपनी जरूरतका सारा कपड़ा तैयार करनेकी सामर्थ्य तो ही। यह मानी हुई बात है कि जब कताईका काम घर-घरमें होने लगेगा तो लाखों बुनकर और धुनिये अपने पुराने पेशेको फिरसे अपना लेंगे।

यह है हाथ कताईका आर्थिक पहलू।

यह हमारी स्त्रियोंको, जिन्हें मजबूर होकर अपनी पवित्रता भंग करनी पड़ती है, उससे बचायेगी। इससे आजीविकाके लिए भीख माँगना बन्द हो जायेगा, और वह बन्द हो जाना चाहिए। यह हमारी मजबूरीकी बेकारी दूर करेगी। यह हमारे मनमें स्थिरता लायेगी। और मैं तो सचमुच यहाँतक मानता हूँ कि जब करोड़ों लोग इसे एक धर्म-कार्य मानकर अपनायेंगे तो यह हमें ईश्वरोन्मुख करेगी।

यह है हाथ कताईका नैतिक पहलू।

और जब इसका प्रचार सर्वत्र हो जायेगा और विदेशी कपड़ेका व्यापार एक गईगुजरी बात बन जायेगा तो यह इस बातका द्योतक होगा कि भारतमें अपने उद्देश्य के प्रति उत्कटता है, उसमें धीरता और गम्भीरता है, और वह अपने संघर्षके अहिंसात्मक और धार्मिक स्वरूपमें विश्वास करता है।

इस समय बाहरके लोगोंको यह विश्वास नहीं हो रहा है कि हममें विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करनेकी क्षमता है और हम हाथ-कताई और हाथ-बुनाईसे इतना कपड़ा तैयार कर सकते हैं जिससे हमारी जरूरतें पूरी हो जायें। लेकिन जब यह एक निश्चित तथ्यका रूप ले लेगा तब भारतकी राय भी एक ऐसी ताकत बन जायेगी जिसे