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८३. भेंट : ' देशाभिमानी' के सम्पादकको

तिन्नेवेली
२३ सितम्बर, १९२१

क्विलन से प्रकाशित 'देशाभिमानी' के सम्पादक श्री टी० के० माधवनने तिन्नेवेलीमें महात्मा गांधी से मुलाकात की। श्री माधवन त्रावणकोरकी एजहवा[१] या तय्या[२] जातिके नेता भी हैं। गांधीजीसे उनकी बातचीतका विवरण नीचे दिया जा रहा है :

टी० के० माधवन : महात्माजी, आपने मुझे दर्शनका सौभाग्य दिया, इसके लिए बड़ा आभारी हूँ। आपके चरखा आन्दोलनसे मेरी जातिको बड़ा लाभ हुआ है -- आर्थिक लाभ तो हुआ ही है, लेकिन उससे भी बहुत ज्यादा नैतिक लाभ हुआ है। बुनाई और ताड़ी खींचना, ये दोनों मेरी जातिके पुश्तैनी धन्धे हैं। मलाबारमें सबसे ज्यादा मजदूर हमारी ही जातिके हैं। जब आपने स्वदेशी आन्दोलन तथा विदेशी कपड़ोंके बहिष्कारका कार्यक्रम शुरू किया, उससे पहले दूसरी जातियोंके लोग हमारा मजाक उड़ाते थे।. . . आपने भारतमें बने कपड़ेके प्रति जो उत्साह जगाया है, एक हदतक उसके कारण भी, बुनाईके कामके प्रति लोगोंके मनमें जो हिकारत थी, वह दूर हुई है। हम लोग बुनाईके कामको उत्तेजन देनेकी कोशिश कर रहे हैं।. . .

महात्माजी : यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि आप लोग इस कामको प्रोत्साहन दे रहे हैं।

हमारे कार्यक्रमका एक मुख्य अंग है पूर्ण मद्य-निषेध। हमारे गुरु परम पुनीत ब्रह्म श्री नारायण गुरु स्वामीने गत वर्ष अगस्त माहमें अपने जन्मदिवसके अवसरपर एक सन्देश जारी करके हमें शराबसे कोई भी वास्ता न रखनेकी सलाह दी। ... हम लोग अपनी शक्ति-भर कोशिश कर रहे हैं कि ताड़ी निकालनेका काम हमारी जातिके लोग छोड़ दें ...। हम अपने लोगोंको यह सलाह भी दे रहे हैं कि आबकारी अधिकारियों द्वारा शराबकी दुकानकी अगली नीलामीके अवसरपर कोई भी आदमी बोली न लगाये। ...ताड़ी निकालना बन्द करनेसे सम्बन्धित आन्दोलनको लेकर त्रावणकोर-सरकार भी कुछ कम परेशान नहीं जान पड़ती। ...

यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आपके गुरु, लोगोंको मद्य-निषेधकी सलाह दे रहे हैं। आशा है आप पूरी शक्तिसे उनके सन्देशको कार्यान्वित करेंगे।

हम लोग आपके आभारी हैं कि आपने अस्पृश्यता निवारणको अपने कार्यक्रम में सबसे प्रमुख स्थान दिया है। आप ठीक ही कहते हैं कि जबतक भारतको आबादीके

२१-१३
 
  1. और
  2. अछूत मानी जानेवाली जातियाँ।