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९३. पत्र : मणिबहन पटेलको

रेलमें
२५ सितम्बर, १९२१

चि० मणि,

तुम्हारे दो पत्र मेरे पास रखे हैं। तुम्हारा काम ठीक चल रहा है। अब तो थोड़े दिनमें वहीं मिलेंगे, इसलिए उसके बारेमें कुछ नहीं लिखता।

कुमुदबहनका हाल पढ़कर मुझे दुःख होता है। उनसे मैं जरूर मिलना चाहता हूँ। ६ तारीखको मैं अहमदाबाद आ ही जाऊँगा। वहाँ कितने समय रहना होगा, यह तो नहीं जानता। परन्तु मैं वहाँ रहूँ उस बीचमें कुमुदबहन आश्रममें आयें तो मैं उनके साथ बातचीत कर सकूंगा। मैं उनकी सेवा करना और उन्हें शान्ति देना चाहता हूँ। तुम उन्हें यह पत्र ही भेज दो तो काम चल सकता है।

२ तारीखको मैं बम्बई पहुँचनेकी आशा रखता हूँ। ४ तारीखतक तो वहाँ रहना ही है।

काका विट्ठलभाईका रास्ता अलग ही है। हमें उनकी चिन्ता नहीं करनी है। उन्हें जो ठीक लगे भले ही वे वही करें और कहें।

मोहनदासके आशीर्वाद

श्री मणिबहन

द्वारा श्री वल्लभभाई, बैरिस्टर
भद्र, अहमदाबाद
[ गुजरातीसे ]

बापुना पत्रो-४ : मणिबहेन पटेलने