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९८. टिप्पणियाँ

पीड़ित मद्रास

मद्रास कई व्याधियोंसे पीड़ित है। इसके सामने ब्राह्मण-अब्राह्मणकी समस्या है, पंचमोंकी समस्या है, मजदूरोंका सवाल है, और इसे ऐसे कठोर दमनका सामना करना पड़ रहा है जैसे दमनका सामना ऐसे हर प्रान्तको करना पड़ता है, जहाँका गवर्नर सज्जन-सुशील तो हो, किन्तु साथ ही बहुत कमजोर और पूरी तरहसे अपने सलाहकारोंपर निर्भर रहनेवाला हो। चिरला-पेरला दमनकी[१] बात मैं पहले ही बता चुका हूँ। अब सरकार किसानोंसे चरागाह कर वसूल करनेकी कोशिश कर रही है, किन्तु किसान यह कर न तो देना चाहते हैं और न उनकी ऐसी हालत ही है कि वे दे सकें। मालूम हुआ है, वसूलीकी पागलपन-भरी जिदमें सरकारने करीब २०० पशुओंको कांजी हाउसमें बन्द कर दिया, जिनमें से कुछको अपने बछड़ोंसे भी अलग कर दिया गया। पशुओंको एक ऐसे कांजी हाउसमें ले जाया गया जहाँ न पर्याप्त चारा था, न पानी। यह बात आन्ध्र प्रदेशकी है। यह टिप्पणियाँ मैं त्रिचनापल्लीमें लिख रहा हूँ। इसके पास ही करूर नामक एक स्थान है, जिसकी आबादी २०,००० के आसपास है। यहाँके लोगोंने मद्य-निषेधकी दिशामें बहुत अच्छा काम किया है। अब करीब चालीस व्यक्तियोंको गिरफ्तार कर लिया गया है। ये सबके-सब स्थानीय कांग्रेस कमेटीके सदस्य हैं। इनपर आरोप यह लगाया गया है कि वहाँके कुछ हुल्लड़बाजों द्वारा थियेटरके मैनेजरके चन्दा देनेसे इनकार करनेपर थियेटरको घेर लेनेकी घटनामें इनका भी हाथ था। चन्दा किसी धर्मार्थ कार्य या तिलक स्वराज्य कोषके लिए –- मुझे पता नहीं कि किसलिए -- माँगा जा रहा था। हुल्लड़बाजोंने यह काम कुछ पहले ही किया था। भीड़को तितर-बितर कर दिया गया था। लेकिन अब इन लोगोंको गिरफ्तार किया जा रहा है। सर्वत्र दमनकी चर्चा है। और अली-बन्धुओंकी गिरफ्तारी के बाद शायद यह चीज और भी बढ़ेगी। लेकिन लोग शान्त रहे हैं। हिम्मतके साथ अहिंसापर डटे रहे हैं। मलाबारका संकट तो असाधारण ही है, लेकिन उससे सरकारके पापका प्याला भर चुका है।

सरकार इतनी घबरा गई है कि कोई नहीं कह सकता, अभी अगले ही पल वह क्या कर बैठेगी। यहाँसे कुछ दूर एक पुडुकोट्टाई राज है। मुझे कुछ गाँवोंका दौरा करना था। मैं इस राजसे ही होकर गुजरनेवाला था। लेकिन, राजको इतना भी गवारा नहीं था। मुझको राजकी ओरसे निम्नलिखित पत्र मिला :

हमारे सामने ऐसा माननेका कारण है कि आप इसी महीनेकी २० तारीखको तिरुचिरापल्ली से चेट्टिनाड जाना चाहते हैं; हमें यह भी बताया गया है। कि आप इस राजसे होकर सड़कसे जाना चाहते हैं।

  1. देखिए " चिरला पेरला ", २५-८-१९२१।