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भाषण : बेल्लारीमें

संकट अब हमारे सिरपर लगभग आ पहुँचा है। जो रोगी संकटको झेल लेता है, उसका कल्याण होता है। अगर हम एक ओर खतरेके सामने चट्टानकी तरह अडिग डटे रहते हैं और दूसरी ओर अधिकसे-अधिक आत्मसंयमसे काम लेते हैं तो निश्चित है कि हम इसी वर्ष अपने लक्ष्यको पा लेंगे।

[ अंग्रेजी ]
यंग इंडिया, २९-९-१९२१

१००. भाषण : बेल्लारीमें

१ अक्तूबर, १९२१

मानपत्र पढ़े जा चुकनेके बाद, महात्माजीने हिन्दीमें उनका उत्तर दिया। उन्होंने खिलाफत समिति द्वारा कोई मानपत्र न दिये जानेपर खेद प्रकट किया। उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता कि यहाँ कोई खिलाफत समिति है भी या नहीं। यदि यहाँ कोई खिलाफत समिति है तो उसका मानपत्र न देना खेदजनक है। उन्होंने कहा : मुझे बेल्लारीसे अनेक पत्र मिले हैं जिनमें कहा गया है कि वहाँ वकीलों, नगरपालिकाके सदस्यों, हिन्दुओं और मुसलमानोंमें मतभेद है। जबतक एकता और शान्ति नहीं होती, तबतक कांग्रेसका काम आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आप सब अपने-अपने मतभेद मिटा दें और एक हो जायें। आन्ध्र और कर्नाटकके प्रश्नपर जो मतभेद हैं, उनके सम्बन्धमें उन्होंने कहा कि यह प्रश्न स्वराज्य मिलनेपर हाथमें लिया जा सकता है। उन्होंने लोगोंसे चरखा चलाने और खादी तैयार करनेकी अपील की। उन्होंने बेल्लारी जिलेमें वकालत बन्द करनेके सम्बन्धमें लोगोंकी बहुत कम, लगभग नहींके बराबर प्रतिक्रिया होनेपर खेद प्रकट किया। उन्होंने अन्तमें कहा : आधी रात हो जानेपर भी इतने लोग यहाँ आय हैं और मेरे स्वागत में सम्मिलित हुए हैं, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, ३-१०-१९२१