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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जायेगा उसी दिन उसकी सारी इमारत ढह जायेगी। और जिस प्रकार मैं शराबखोरों और सटोरिये लोगोंमें अपने मतका प्रचार करता हूँ, जिससे कि वे इन बुरी बातोंसे दूर रहा करें, ठीक उसी तरह मैं सिपाहियोंसे भी उनके मुँहपर यह कहनेके हकका दावा करता हूँ कि मेरे मतके अनुसार उनका क्या कर्त्तव्य है। देशके अन्दर जोकुछ हो रहा है, उसकी जानकारीसे फौजके लोग क्यों महरूम रखे जाने चाहिए? क्या सरकारको इस बातका डर है कि अगर सिपाही सच बात जान जायेंगे तो उसकी नौकरी छोड़ देंगे? जो सरकार "सरकार" कहलाने लायक है उसे तो सैनिकोंको पूरी तरह शिक्षा और ज्ञान देकर भी उनकी राजभक्तिको कायम रखनेके योग्य होना चाहिए। लेकिन यहाँ भारतमें तो सब-कुछ शस्त्रके सहारे टिका हुआ है -- शान्ति शस्त्र के सहारे कायम रखी जाती है, राजभक्ति शस्त्रके सहारे प्राप्त की जाती है और लोगोंके मतोंपर भी शस्त्रका ही अंकुश है। निःशस्त्र अगर कोई है तो बस, प्रजा ही है। अतएव हमारा कर्त्तव्य स्पष्ट है। हमें दावेके साथ जैसा चाहे वैसा मत रखना और व्यक्त करना चाहिए फिर चाहे इसके लिए हमें सूलीपर भी क्यों न चढ़ जाना पड़े। ध्यान सिर्फ इस बातका रखना है कि ऐसा करते हुए हम प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूपसे भी हिंसा न करें। यही अहिंसात्मक असहयोगका संग्राम है। हमें यह लड़ाई अन्ततक लड़नी होगी। मैं यहाँ सब लोगोंको आगाह किये देता हूँ कि "फौजकी राजभक्तिको डिगानेकी बिनापर" मुकदमा चलाना इस बातका पूर्व-संकेत है कि “विदेशी कपड़ोंके प्रति लोगोंकी भक्तिको डिगानेकी बिनापर" भी मुकदमे चलाये जायेंगे। कालीकटमें जो नौजवानोंकी खादीकी टोपियाँ और कुरते जलाये गये, वह किस बातका सूचक था? विशाखापट्टमके मेडिकल स्कूलके विद्यार्थियोंके खिलाफ जो युद्ध शुरू किया गया है, वह खादीके खिलाफ किया जा रहा क्रूरतापूर्ण युद्ध नहीं तो और क्या है?

एकमात्र कसौटी

लेकिन अगर हमें स्वराज्य प्राप्त करना है तो बस यह ठीक उसी किस्मकी परीक्षा है, जिसमें हमें अवश्य ही पास होना होगा। अगर यह बात सच है कि इस सरकारका अस्तित्व अपने विशेष प्रकारके हितोंकी रक्षाके ही लिए है, और ये हित अधिकांश प्रजाके हितोंके विरुद्ध हैं, तो वह हर कीमतपर अपनी मौजूदा स्थिति कायम रखनेकी कोशिश करेगी और उसके लिए हमें इसपर हरगिज क्रोध न दिखाना चाहिए। स्वतन्त्र लोकमतकी बढ़ती के दमनके लिए उसका कोशिश करना कोई नई बात नहीं है। हम लोग तो पहलेसे ही सरकारकी इन विशेषताओंको पहचानते हैं, और आज जो हम उसकी वर्तमान प्रणालीको नष्ट कर देना चाहते हैं इसका कारण यही है कि हमें इन विशेषताओंका ज्ञान है। इस सरकारके अस्तित्वका उद्देश्य है -- हिन्दुस्तानसे तथा उसके कच्चे मालसे धीरे-धीरे, परन्तु निश्चित रूपसे, नाजायज फायदा उठाना एवं हिन्दुस्तानको इतना कमजोर कर देना जिससे वह सदाके लिए यहाँसे धन लूटकर ले जानेवाले विदेशी लोगोंका एक साधन मात्र बन जाये। दूसरे शब्दोंमें वे हमें अपने ही घरोंमें सदाके लिए कैद रखना चाहते हैं। और यह स्थिति प्राप्त करनेके लिए जो तरीका अख्तियार किया