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तार : गोपबन्धु दासको

मैं कहता हूँ कि आप बाजारकी खादी भी न पहनें, हाथकी बनी हुई और अपनी तैयार की हुई खादी ही पहनें। जब आप इतना कर लें तब आप मुझसे पूछें कि अली-भाई क्यों नहीं छूटे, स्वराज्य क्यों नहीं मिला और खिलाफत के प्रश्नपर न्याय क्यों नहीं मिला। मैं आपके इन प्रश्नोंका उत्तर देनेके लिए तैयार बैठा हूँ।

सरकार मुझे पकड़ेगी ऐसी अफवाह उड़ी है। सरकारको मुझे पकड़नेका अधिकार है। जैसी भाषाका प्रयोग अली-भाइयोंने किया वैसी ही भाषाका प्रयोग मैंने किया है। हमें सरकारसे नहीं, ईश्वरसे ही डरना चाहिए। हमारे धर्मके अनुसार खून-खराबी करना पाप है और जबतक हिन्दुओं और मुसलमानोंका समझौता कायम है तबतक मुसलमानोंके लिए भी हिंसा अथवा खून-खराबी करना हराम होना चाहिए। मैं गिरफ्तार कर लिया जाऊँ तो आप न मकान जलायें न गुस्सा करें और न किसीको गाली दें। यदि स्वदेशीको अपनानेमें आप अभी सुस्त हों तो मेरे गिरफ्तार होनेपर चुस्त बन जायें और मेरे पकड़े जानेपर दिन-रात चरखा चलायें। यदि हिन्दुओंके मनमें मुसलमानों के प्रति कोई द्वेष हो तो हिन्दू उसे अपने मनसे निकाल दें। मुसलमानोंके मनमें भी हिन्दुओं के प्रति कोई द्वेष हो तो वे भी उसे निकाल दें। कोई मजदूर शराब न पिये, चोरी न करे, ढेढ़ और भंगीको अस्पृश्य न माने। मैं आपसे यही आशा रखता हूँ।

अब मैं इधर-उधर जाने-आने में वक्त लगाना नहीं चाहता। अब मेरे पास नये विचार भी नहीं हैं और न नयी भाषा है। अब मैं यही देखना चाहता हूँ कि कितना काम हुआ।

अब मैं ऐसे समारोहोंमें आ भी नहीं सकूंगा। मेरे लिए अब इतना समय बचाना भी कठिन है; इसलिए आपको चाहिए कि आप मुझे ऐसे कामोंसे मुक्त कर दें। मेरा मोह छोड़ दें और मैंने आपसे जो काम करनेके लिए कहा है उस काममें लग जायें। यदि आप ऐसा करेंगे तो स्वराज्य हाथमें आया रखा है।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, २० -१०-१९२१

११८. तार : गोपबन्धु दासको[१]

[ ८ अक्तूबर, १९२१ के पश्चात् ]

केवल सच्चा साहसपूर्ण बयान दाखिल करें। परिणामका विचार कदापि न करें।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७६३६) की फोटो नकलसे।

२१-१८
 
  1. समाज नामक उड़िया साप्ताहिकके सम्पादकको हैसियतसे लिखे गये पत्रके उत्तरमें; जिसमें उन्होंने पूछा था कि उनपर मानहानिका जो आरोप लगाया गया है उसमें उन्हें अपना बचाव करना चाहिए या नहीं।