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भाषण : बम्बई में कार्यसमिति के प्रस्तावके सम्बन्धमें

मेरी तपस्या इतनी नहीं कि मैं छात्रोंको विश्वास दिला सकूँ कि सरकारी स्कूलों से सम्बन्ध रखना अनुचित है। मैं जानता हूँ कि मैं बम्बईके सब स्त्री-पुरुषोंको यह विश्वास नहीं दिला सका हूँ कि खद्दरके सिवा दूसरा और कोई कपड़ा पहनना पाप है। किन्तु आपको मेरा खयाल करने की जरूरत नहीं। यदि देश इस महीने में भी स्वदेशीके कार्यक्रमको पूरा कर ले, तो स्वराज्य इस वर्षके अन्दर निश्चित मिल जायेगा और खिलाफत और पंजाबके अन्यायोंका प्रतिकार भी हो जायेगा। चरखेमें मेरा विश्वास वैसा ही बना हुआ है। मुझे कोई सन्देह नहीं कि भारतकी गरीबीकी समस्या इससे, और केवल इसीसे, हल होगी। मेरी दृष्टिमें इसका मान लिया जाना इस बातकी कसौटी है कि हिन्दुओं और मुसलमानोंमें एकता हो गई है और हमने हिंसा त्याग दी है। यदि आप स्वदेशीके कार्यक्रमको पूरा न कर सके, तो मैं सामूहिक सविनय अवज्ञामें भाग नहीं लूंगा। जबतक खद्दरका प्रसार सर्वत्र नहीं हो जाता और विदेशी कपड़ा सिर्फ जहाँ-तहाँ ही नहीं रह जाता, तबतक मुझे सन्तोष नहीं होगा। मैं यह देखना चाहता हूँ कि बम्बई के स्त्री-पुरुष केवल खद्दर ही पहने हों। मुझे बताया गया है कि खादी-भण्डारसे जुलाईमें १८,००० रुपयेकी, अगस्त में १३,००० रुपयेकी और सितम्बर में ७,००० रुपयेकी खादी बिकी। मैं लाखों रुपये की खादी बिकती देखना चाहता हूँ। मैं यह देखना चाहता हूँ कि बम्बईके घर-घर में चरखा चल रहा है। बम्बई तिलक स्वराज्य-कोष के मामले में सबसे आगे रहा। वह स्वदेशी आन्दोलनके सम्बन्धमें भी आगे रहे और सामूहिक सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ करनेका गौरव भी प्राप्त करे। मैंने अप्रैल १९१९ में जल्दीमें सविनय अवज्ञा आरम्भ करके भूल की थी। मैं बहुत ही अपूर्ण मनुष्य हूँ और भूल कर सकता हूँ। केवल ईश्वर ही ऐसा है जो भूल नहीं करता। किन्तु मैं इतना सीख गया हूँ कि मुझसे एक ही भूल दोबारा न हो। मैं स्वदेशीका कार्यक्रम पूरा किये बिना सविनय अवज्ञा करनेकी सलाह नहीं दूंगा। मैं सविनय अवज्ञाका विज्ञान जानता हूँ। मैं यह भी जानता हूँ कि उसमें कितनी शक्ति है और उसके क्या-क्या खतरे हैं। उसके लिए पूर्ण अहिंसात्मक वातावरण चाहिए और पूर्ण अहिंसात्मक वातावरण तबतक नहीं हो सकता जबतक राष्ट्र चरखेकी शक्तिको नहीं मान लेता और उसको अपना नहीं लेता। यदि स्वदेशीमें और उसके परिणामोंमें आपका विश्वास है तो मैं यह देखने की अपेक्षा करता हूँ कि हर घरमें चरखा चल रहा है, सभी जातियों और धर्मोके लोग चरखा चला रहे हैं और खद्दर पहन रहे हैं। मैं यह अपेक्षा करता हूँ कि धनी लोग भी चरखा चलायें और मिल मजदूर भी चरखा चलायें और जब आप इतना कर लेंगे, तब आप एक-एक सिपाहीके पास बिना खतरेके जा सकते हैं और उससे नौकरी छोड़ने के लिए खुल्लमखुल्ला कह सकते हैं।

जब मैंने केवल एक धोतीसे तन ढँकना शुरू किया, तो मैंने देखा कि कई लोगोंकी आँखोंमें आँसू भरे हैं। लेकिन मैंने जो कुछ देखा है उसके बाद मैं यही कर सकता था। मैं नहीं चाहता कि कोई मुझपर दया दिखाये, किन्तु मैं यह अवश्य