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१२३. भाषण : स्त्रियोंकी सभा, बम्बईमें

९ अक्तूबर, १९२१

रविवारको दोहपरके बाद मारवाड़ी विद्यालयके सभा भवनमें 'राष्ट्रीय स्त्री सभा' के तत्त्वावधानमें एक सार्वजनिक सभा हुई। इस सभामें महात्मा गांधी, लाला लाजपतराय और अन्य वक्ताओंने वर्तमान परिस्थितिपर भाषण दिये। सभा केवल खद्दर और स्वदेशी वस्त्र पहननेवाली महिलाओंके लिए बुलाई गई थी। सभाकी अध्यक्षता श्रीमती नायडूने की।

महात्मा गांधीने कहा :

मेरे सन्मुख हिन्दू, मुसलमान और पारसी स्त्रियाँ बैठी हुई हैं। वे यह जानकर ही सभामें आई हैं कि वे केवल खादी पहनकर ही सभामें भाग ले सकती हैं। मैं स्वयं यहाँ आपको कोई नई बात बताने नहीं आया हूँ, किन्तु देशने जो काम किया है उसके बारे में बताने आया हूँ। आपने कांग्रेसकी सदस्या बनकर यह दिखा दिया है कि आप कांग्रेसके आदेशोंको मानने के लिए तैयार हैं, चाहे उसमें जो भी खतरे सामने आयें। आप जानती हैं कि हमारे देशके आठ नेता कराचीमें कुछ प्रस्तावोंको पास करनेपर गिरफ्तार कर लिये गये हैं और मैं चाहता हूँ कि इस सभा में भी वे ही प्रस्ताव पास किये जायें और आवश्यक हो तो आप सब जेल जायें। आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि आप स्त्रियाँ हैं, इसलिए आपको गिरफ्तार नहीं किया जायेगा; आपका यह खयाल ठीक नहीं है। आपको जानना चाहिए कि सरकार अपना उद्देश्य पूरा करनेके लिए कुछ भी कर सकती है। दक्षिण आफ्रिकामें जो कुछ हुआ था वह आपको मालूम है| वहाँकी सरकार स्त्रियोंको भी बाहर नहीं रहने देना चाहती थी। लाला लाजपतरायने आपसे कहा है कि आप अपने हृदयोंको लोहे जैसा कड़ा बना लें जिससे जब आपके निकट सम्बन्धी और प्रियजन गिरफ्तार किये जायें तब आपकी आँखों से आँसूकी एक बूँद भी न निकले। आपको अली-भाइयोंकी माता और मौलाना मुहम्मद अलीकी पत्नीका अनुकरण करना है। यद्यपि हमारे किसीके धर्ममें यह नहीं लिखा है कि जब कोई मर जाये तो उसके लिए हमें रोना-धोना चाहिए, फिर भी हम अपने मृत सम्बन्धियोंके लिए रोते और शोक करते हैं। यह ठीक नहीं है। जो लोग जेल भेजे जायें, आप उनके लिए शोक न करें, क्योंकि आप जानती हैं कि वे देश में धर्म-राज्यकी, स्वराज्यकी स्थापनाके लिए लड़ रहे हैं। मैं जिस स्वराज्यकी स्थापना करना चाहता हूँ वह धर्म-राज्य है, राम-राज्य है। जबतक भारत में एक भी व्यक्ति भूखसे मरता है, तबतक संसदों में कोई भी अधिकार दिये जायें उससे हमें सच्चा स्वराज्य नहीं मिलता। जबतक इस देशमें अधर्म है, तबतक हमें मताधिकार और दूसरे

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