पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/३३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९९
टिप्पणियाँ

कारण है कि मैंने अस्पृश्यता निवारणको स्वराज्य-प्राप्तिकी एक अनिवार्य शर्तके रूपमें रखा है। हम तो खुद लोगोंको गुलाम बनाकर रख रहे हैं। फिर, अगर हम बिना किसी शर्त के अपने गुलामोंको नागरिकताके अधिकार देनेके लिए तैयार नहीं हैं तो हमें अपनी गुलामीपर नाराज होनेका कोई अधिकार नहीं है। पहले हम अपनी आँख से तो अस्पृश्यता-रूपी टेंट दूर कर लें, फिर अपने शासकोंकी आँखकी फूली काटने की कोशिश करें।

स्त्रियोंके खिलाफ भी

श्रीमती सेनगुप्त एक सुसंस्कृत अंग्रेज महिला हैं, जो एक सुसंस्कृत बंगालीसे व्याही हुई हैं। जब श्री सेनगुप्त[१] जेलमें थे, श्रीमती सेनगुप्त चटगाँवमें कपड़ा बाजारमें ग्राहकोंसे खादी खरीदने और विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करनेका अनुरोध करने गईं। सरकारकी दृष्टिमें यह किसी स्त्रीके लिए बहुत बड़ा अपराध था, और निदान उन्हें अपने इस कामसे बाज आनेका हुक्म देते हुए दफा १४४ के अधीन एक नोटिस मिल गया। कांग्रेसके निर्देशके अनुसार उन्होंने वह हुक्म मान लिया है। मर्दके बारेमें चाहे जो कहा जाये, श्रीमती सेनगुप्तपर तो ऐसा कोई सन्देह नहीं हो सकता था कि वे फसाद खड़ा करना या किसीको डराना-धमकाना चाहती थीं। इसमें सन्देह नहीं कि ग्राहकों के सामने उनकी उपस्थिति बड़ी प्रेरणाप्रद सिद्ध होती और उनके कारण वे शर्मके मारे विदेशी कपड़े की दुकानोंपर नहीं जा सकते थे। और यह बात मजिस्ट्रेटके दृष्टिकोणसे ठीक नहीं होती। इस तरह, यह आदेश स्वदेशीके प्रचारपर लगभग प्रतिबन्ध लगा देता है। लेकिन मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा, यदि यह सरकार, जो मुख्यतः विदेशी कपड़ेके व्यापारकी सुरक्षाके लिए ही शासन करती है, विदेशी कपड़ेका बहिष्कार होते ही समाप्त हो जाये। सच्ची स्वदेशीकी प्रगति के साथ-साथ सरकार अपना आपा तो अधिकाधिक खोती ही जायेगी।

चटगाँवको प्रतिध्वनि गौहाटीमें

जो कुछ चटगाँवमें हुआ है, उसीकी नकल गौहाटीमें भी की गई है। वहाँ दशहरेकी छुट्टियोंके अवसरपर कार्यकर्त्ताओंको ग्राहकोंसे विदेशी कपड़े न खरीदनेका अनुरोध करनेकी मनाही कर दी गई है।

इस आदेशमें गौहाटी नगरपालिकाकी हृदमें रहनेवाले सभी लोगोंको ताकीद की गई है कि वे खरीद-फरोख्तमें लगे किसी भी व्यक्तिको धमकियाँ देकर, या चीख-चिल्लाकर या इशारेसे या जोर-जबरन न तो डरायें और न परेशान ही करें, उक्त उद्देश्योंसे सार्वजनिक सड़कों या दुकानों अथवा बाजारोंके इर्दगिर्द चक्कर न लगायें; या ऐसा कोई अन्य कार्य भी न करें जिससे कानूनी तौरपर अपना कामकाज कर रहे लोगोंको परेशानी हो या सार्वजनिक शान्तिमें बाधा पड़े।

  1. यतीन्द्रमोहन सेनगुप्त, कांग्रेसी नेता और बंगालके एक प्रमुख बैरिस्टर।