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बम्बई क्या करेगा ?

५०,००० रुपये आता है। अगर हम मान लें कि हमारी लड़ाई एक महीनेतक चलेगी तो पन्द्रह लाख रुपये तो सिर्फ इतने लोगोंके खानपानमें ही खर्च हो जायेंगे। अगर उनके कुटुम्बियोंके भरण-पोषणका प्रबन्ध भी करना पड़े तो उस खर्चका अनुमान करना ही कठिन है। फिर भी मेरी बताई रकम कमसे-कम दुगुनी तो कर ही देनी चाहिए।

इतना खर्च उठाने के लिए हम तैयार नहीं, और कदाचित् इतना रुपया जुटाना बम्बईके लिए कठिन न भी मानें तो भी हमें लाभ नहीं होगा; बल्कि हम हार ही जायेंगे। इस बात का कोई निश्चय नहीं कि तब आन्दोलनमें कैसे लोग शामिल होंगे। इस भारतीय स्वातन्त्र्य युद्धको चलानेका भार उठानेवाले लोग चरित्र, सचाई और साहसमें पहले दरजेके होने चाहिए। और इसकी कसौटी भी चरखा और रुईकी क्रियाएँ हैं। जबतक इन सैनिकोंकी समझमें यह बात न आयेगी कि धुननेसे या बुननेसे वे अपनी रोटी कमा सकते हैं तबतक हम लाखों सैनिक प्राप्त कर ही नहीं सकते।

अब हम इस बातकी कल्पना कर सकते हैं कि अगर बम्बई इस काममें सबके आगे होना चाहे तो उसे क्या करना चाहिए।

(१) इस मासके अन्ततक युद्ध करनेकी इच्छा रखनेवाले प्रत्येक आदमीको धुनने, कातने और बुननेकी क्रियाओंकी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। उसे कमसे-कम रोज एक घंटा सूत जरूर ही कातना चाहिए।

(२) बम्बई में अधिकांश लोगोंको इस मासके भीतर-भीतर हाथ-कते सूतकी खादीका उपयोग करने लग जाना चाहिए।

(३) इस महीनेके आखीरतक बम्बईके बाजारोंका, मन्दिरोंका, मस्जिदों और नाटकघरोंका रूप बदल जाना चाहिए और वे सब खादीमय दिखाई देने चाहिए।

(४) बम्बई के स्त्री-पुरुषोंको अपना फुरसतका समय धुनने, कातने और बुननेमें लगाना चाहिए।

(५) यदि बम्बईके नागरिकोंका मारपीटमें अब भी कुछ विश्वास रह गया हो तो उन्हें उसे छोड़ देना चाहिए।

(६) यदि बम्बईके हिन्दुओं और मुसलमानोंमें अब भी कुछ अनबन हो और उनके मनोंमें कुछ मैल हो तो उन्हें उसे निकाल देना चाहिए।

यदि इतना काम इस मासके अन्ततक हो जाये तो बम्बईके लोग नवम्बरमें बड़े पैमाने पर शान्तिपूर्वक कानून-भंग शुरू कर सकते हैं।

बम्बई में युवराज के उतरनेकी तारीख १७ नवम्बर है। क्या उसके पहले बम्बई अपनी शक्तिका चमत्कार दिखा सकेगा ? बम्बई जब ऊपर लिखी आसान शर्तोंका पालन कर दिखायेगा तभी वह इस विद्रोहका आरम्भ कर सकता है; उससे पहले नहीं। जो प्रान्त ऐसा कर दिखायेगा वही सविनय भंग शुरू कर सकता है।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, १६-१०-१९२१