पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/३४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३१४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हमारा बहुत-सा काम तो विचार, कार्यदक्षता और उद्यमके अभाव में पड़ा रह जाता है। आलस्यको छोड़ना, कार्यशक्तिको बढ़ाना और विचारमय बनना तो हमारा एक आवश्यक कर्त्तव्य है। ये गुण तो प्रत्येक स्वराज्यवादीमें होने ही चाहिए।

शादीमें खादी

सिर्फ खादी पहनकर शादी करनेमें सबसे पहले पारसी जातिने ही कदम बढ़ाया है। खंडवेकी कांग्रेस-समितिके सभापति श्रीयुत लवंगियाकी शादी उस दिन बम्बईके कामाबागमें श्रीमती दीनबाई पटेलके साथ सम्पन्न हुई। दुल्हा-दुल्हिन दोनों खादीकी ही पोशाक में थे। उन्हींके साथ-साथ शादी करानेवाले पुरोहितने भी खादीका जामा पहना था और मेहमानोंसे भी प्रार्थना की गई थी कि वे खादीके ही लिबासमें पधारें। इसलिए मजलिसमें ज्यादातर खादी ही दिखाई देती थी। इसी तरह और भी सब बातोंमें सादगीसे काम लिया गया था। दूल्हे के पिताने स्वराज्य फंडमें ५०० रुपये दिये। इस तरह सभी लोग स्वदेशी और सादगीका अनुकरण करें तो कितना अच्छा हो। मैं आशा करता हूँ कि मेरी ही तरह, प्रत्येक पाठकके हृदयमें इन दम्पतिकी दीर्घायु-कामना और इनके हाथों बहुत बड़ी देशसेवा होनेकी भावना उत्पन्न होगी।

रंग-विद्वेष

श्री मणिलाल बैरिस्टरने फीजीमें जनताकी बड़ी सेवा की। जब उन्हें सरकारने देश-निकालेकी सजा दे दी, तो वे रहने के विचारसे न्यूजीलैंड गये। उन्होंने वहाँ वकालत प्रारम्भ करनेका प्रयत्न किया और अदालतको सनदके लिए दरखास्त दी। न्यूजीलैन्ड की विधि-समितिने, जिसके सभी सदस्य गोरे थे, फीजीसे पूछताछ की; फीजीकी सरकारने मणिलालकी वफादारीके प्रति शक जाहिर किया। इस शकके आधारपर श्री मणिलालकी अरजी नामंजूर कर दी गई है। इसका यह अर्थ होता है कि श्री मणिलाल न्यूजीलैंडमें अपनी जीविका नहीं कमा सकते। फीजीमें श्री मणिलालपर कोई अपराध साबित नहीं हुआ था और न्यूजीलैंडमें भी उनके खिलाफ कोई बात नहीं थी। उनके वफादार न माने जानेका सम्बन्ध उनकी चमड़ी के रंगसे था और उनकी बेवफादारीका प्रमाण था अपने देशभाइयोंकी सेवा करना। जिनका रंग गेहुँआ है, जो हिन्दुस्तानी हैं और जो अपने देशवासियोंकी सेवा करते हैं, वे व्यक्ति यदि सफेद चमड़ीवालोंकी दृष्टिमें बेवफा न गिने जायें, तो फिर बेवफा और कौन गिना जा सकता है। आश्चर्यकी बात है कि इतना सब देखते हुए भी हमारे बीचमें ऐसे भोले और उदार मनके काफी देशवासी हैं जिनका यह कहना है कि हमें जो कुछ प्राप्त करना है, वह हमें सरकारके साथ सहयोग करते हुए ही प्राप्त करना है।

पूर्वी आफ्रिका

मुझे तो सभी जगहोंमें सरकारके साथ सहकार करनेके कटु परिणाम ही दिखाई देते हैं। पूर्वी आफ्रिकाके गोरे श्री एन्ड्रयूजका वहाँ जानातक सहन नहीं कर पाते! उन्होंने उनका विरोध करनेके लिए कमर कस रखी है। गोरे श्री एन्ड्रयूजको चोट तक पहुँचा सकते हैं। इसीके साथ वे ब्रिटिश अधिकारियोंके साथ ऐसी बातचीत भी