पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/३५५

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टिप्पणियाँ ३२३ बड़ी होली जलाई गई, जिसमें टोपियों और कपड़ोंका इतना बड़ा ढेर जलाया गया कि मैं वर्णन नहीं कर सकता। पाल मार्केटका शाह साहूकार अपने विदेशी कपड़ोंका पूराका-पूरा स्टाक ही सभामें ले आया था, जिसे उसने आगको होम दिया। चरखेका प्रचार अबतक उतना अधिक नहीं हो पाया है, लेकिन मैं अब अच्छे परिणामोंकी आशा करता हूँ। मेरे परिवारमें तुम्हारी माँ, बहन और तीन • सभी बहुत अच्छा सूत कात रहे हैं। .. भाई- -- सारे बंगालमें जो कुछ हो रहा है, यह उसका एक नमूना-भर है। मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि जब बंगालकी भावना जाग्रत हो उठेगी तब वह इस क्षेत्रमें सबसे आगे होगा । उपाधियोंकी सूची उपाधियोंकी सूची रोज-ब-रोज बढ़ती ही जा रही है। एक और जहाँ हम सर- कारके लिए एक किस्मके खिताबोंको छोड़ रहे हैं तहाँ दूसरी तरहके खिताब, और सच्चे खिताब, माँग रहे हैं। इस सम्मानके लिए अभी सबसे हाल ही में गंगाधरराव देशपाण्डे चुने गये हैं। उनका नाम तथा जिन दूसरे बहुतसे लोगोंके बारेमें मैं सोच सकता हूँ उनके नाम देखकर मुझे यकीन होता है कि अब हमारी विजयकी घड़ी निकट आ रही है। बस, हमें सिर्फ बौछारके सामने स्थिर-भर रहना चाहिए। अगर हम सरकारके वारंट आते ही बिना शोरगुल, बिना चीख-पुकार और बिना कोधके सरकारके हवाले हो जाया करें तो हम निश्चित मान सकते हैं कि हम शीघ्र ही सफल होंगे। मेरे पास मित्रोंके ऐसे पत्र लगातार आ रहे हैं जिनमें वे पूछते हैं कि अगर तमाम नेता लोग पकड़ लिये गये तो फिर क्या होगा। उनका यह सवाल करना चाहे स्वराज्यके लिए उनकी अयोग्यता न प्रकट करता हो, पर उसके प्रति उनका अविश्वास अवश्य प्रकट करता है । अगर सभी नेता मर जायें तो क्या होगा? हमारी स्वराज्यकी योग्यता तभी सिद्ध होगी जब हम मृत्यु अथवा कैदके कारण अपने नेताओंके हमारे पास न रहनेपर भी बराबर काम करते रहें। नेताओंके जेल जानेकी स्मृतिसे निश्चय ही अनुशासित ढंगसे तथा और अधिक कार्य करनेकी प्रेरणा मिलनी चाहिए। ऐसी अफवाह थी कि ५ तारीखको में गिरफ्तार कर लिया जाऊँगा । ऐसा न होनेपर एक दूसरे मित्रको बड़ी निराशा हुई, लेकिन उन्होंने स्वयं अपने और अपने कार्यके विषयमें बड़ा जबरदस्त विश्वास प्रकट किया है। हमें तो बिना किसीके सहारेके अपने ही पाँवपर खड़ा होना चाहिए •ठीक उसी तरह जिस तरह हम बिना किसी बनावटी इमदादके अपनी साँस लेते और छोड़ते हैं। अगर कर्नाटक वैसा ही देश है जैसी कि मेरी धारणा उसके विषयमें है, तो गंगाधरराव देशपाण्डेकी गिरफ्तारी और उनके जेल जानेके परिणामस्वरूप वहाँ विदेशी कपड़ोंका पूरा बहिष्कार होना चाहिए और बहुत ज्यादा खादी तैयार होने लगती चाहिए। कर्नाटक तबतक सन्तुष्ट नहीं हो सकता जबतक कि वह खुद अपने ही प्रयत्नोंके द्वारा अपने जेल गये हुए तथा आगे जो जेल जानेवाले हैं उन देशभक्तोंको स्वतन्त्र न करा ले । Gandhi Heritage Portal