पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/३५६

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय अन्य नेता इस बातमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि बम्बई सरकार नेताओंको जेल भेजनेके काममें बड़े ढंगके साथ लगी हुई है। सो इस तरह कि पीर तुराव अली शाह और पीर मुजहिदको गिरफ्तार करके उसने दो ऐसे मुसलमानोंको गिरफ्तार किया है जिनके अनुयायियोंकी संख्या बहुत बड़ी है और जिनके प्रभावका उपयोग साधारण लोगोंकी हिसा-वृत्तिको रोकनेके लिए किया जाता था। कहनेकी जरूरत नहीं कि कर्नाटक में श्रीयुत देशपाण्डेके अद्वितीय प्रभावका उपयोग भी शान्ति-रक्षाके लिए था। इसके बारेमें कोई भी यही सोचेगा कि बम्बई सरकारको अब अपनी नरमीपर शायद शर्म आने लगी और वह अबतककी कसर निकालनेकी कोशिश कर रही है। धारवाड़-निर्णय और सिन्ध तथा कर्नाटककी गिरफ्तारियोंसे लगता है कि बम्बई सरकार लोगोंको हिंसा- के लिए निमन्त्रण-सा दे रही है। लेकिन हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि इसका मौका अब उसके हाथसे निकल गया है। मालूम होता है कि देश अब इस बातको समझ गया है कि उसका हित किस बातमें है। और अब वह सरकारके हाथका खिलौना न बन जायेगा। अगर हिन्दू और मुसलमान एक रहते हैं, जनता अहिंसाके सिद्धान्तको सोच-समझकर बुद्धिपूर्वक अपना लेती है और स्वदेशीका काम तरतीबके साथ होने लगता है तो फिर कोई भी ताकत हमको इसी साल स्वराज्य प्राप्त करनेसे नहीं रोक सकती। ३२४ मजिस्ट्रेटकी क्षमा याचना पाठकोंको याद होगा कि बुलन्दशहरके मजिस्ट्रेटने श्री त्यागीको थप्पड़ लगवाये थे', हालाँकि उस समय उनके मुकदमेकी सुनवाई हो रही थी और इसलिए वे मजिस्ट्रेटके संरक्षणमें थे । मजिस्ट्रेटने इसके लिए मुजरिमसे क्षमा याचना की। अब मुझे उसका पाठ मिल गया है। वह इस प्रकार है: अदालतमें हाजिर मुजरिम, आजकी कार्रवाई आगे चलने से पहले कुछ कहना चाहता हूँ । ऐसा मैं दो कारणोंसे कर रहा हूँ--एक तो इस कारणसे कि में तुम्हारे मामलेकी सुनवाई कर रहा हूँ और यह ठीक नहीं है कि तुम या कोई भी ऐसा सन्देह करे कि तुम्हारी सुनवाई न्यायपूर्वक और उचित ढंगसे नहीं होगी। दूसरा कारण यह है कि सरकारका कोई भी अधिकारी यह नहीं चाहेगा कि कोई भी ऐसी घटना हो जिससे समाजके किसी भी हिस्सेको शिकायतका कोई उचित अवसर मिले -- विशेषकर इसलिए कि बहुतसे सिद्धान्तहीन और मौकेका नाजायज फायदा उठानेवाले लोग ऐसी घटनाओंको नमक-मिर्च लगाकर पेश करनेको तैयार बैठे हैं । पहली सुनवाईके समय में अधीर हो रहा था और तुम उद्धत थे। मैंने तुम्हें थप्पड़ लगवाकर गलती की और उसके लिए मुझे खेद है। १. देखिए “ टिप्पणियाँ ", १३-१०-१९२१ का उप-शीर्षक “विपरीत दृश्य " । Gandhi Heritage Portal