पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/३५८

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय असहयोगीका कर्तव्य सीधा-सादा है। सरकारी अधिकारियों द्वारा कानून और नैतिकताको भंग करनेके ऐसे एक-एक मामलेसे हमें अपने काममें और भी संकल्पके साथ जुट जानेकी प्रेरणा मिलनी चाहिए। जिस प्रणालीके अन्तर्गत ऐसा बर्बरतापूर्ण आचरण सम्भव है, वह प्रणाली जबतक जड़मूलसे नष्ट नहीं हो जाती तबतक हम सन्तुष्ट नहीं हो सकते । ३२६ अभियुक्तका बयान अपने मामलेकी दूसरी सुनवाईसे दो दिन पूर्व श्री त्यागीने मजिस्ट्रेटको निम्न- लिखित बयान भेजा : वन्देमातरम्, बुलन्दशहरके जिला मजिस्ट्रेटके न्यायालयों । भारतीय दण्ड संहिताके खण्ड १२४ और १५३के अधीन अभियुक्त महावीर त्यागीकी ओरसे मैं, महावीर त्यागी, एक निर्दोष अभियुक्त, निम्नलिखित बयान देनेपर मजबूर हो गया हूँ। इस बयान में मैं कहना चाहता हूँ कि उक्त मजिस्ट्रेटन अपने अत्याचार और अयोग्यताका परिचय देते हुए इसी ३ तारीखको खुली अदालतमें मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जो मेरे आत्म-सम्मान, धर्म और राष्ट्रीयताको चोट पहुँचानेवाला था। उसने मुझे "सावधान" मुद्रामें खड़े रहने को मजबूर किया और मुझे धमकी दी कि तुम्हें पुलिससे ठोकरें लगवाऊँगा और सचमुच मुझे थप्पड़ लगवाये भी । मजिस्ट्रेटका यह कार्य सर्वथा गैर-कानूनी और बर्बरतापूर्ण था। इसलिए अपने राष्ट्रीय, धार्मिक और व्यक्तिगत सम्मान तथा स्वाभिमानको रक्षा करनेके लिए मैंने, विरोधके तौरपर, मौनव्रत धारण करनेका निश्चय किया है, और तय किया है कि जिस अदालतने सारे कानून- कायदे ताकपर रख दिये हैं उसमें में अपना मुँह नहीं खोलूंगा। (टिप्पणी -- यहाँ बयानमें से अदालतने अभियुक्तकी इच्छाके खिलाफ निम्न- लिखित शब्द निकाल दिये और उसपर हस्ताक्षर और तारीख दिलवा दी : "जैसी कि पंजाबमें मेरी बहनोंको बेहुरमती की गई और वह बेहुरमती इन्साफके लिए दरबार-ए-इलाहीमें पेश है", वैसे ही) में अपनी बेहुरमतीको भी, जो उन बहनोंकी बेहुरमतीके मुकाबले कुछ नहीं है, दरबार-ए-इलाहीके इन्साफपर छोड़ता हूँ। यह सम्भव है कि मेरे साथ जो दुर्व्यवहार किया गया, उसका उद्देश्य जन- ताको भड़काना रहा हो, लेकिन मैं अपने अनुभवसे यही कहूँगा कि अब भारतकी जनता काफी समझदार हो गई है। वह हर अत्याचार बरदाश्त कर सकती है, लेकिन महात्मा (गांधी) ने उसके लिए जो अहिंसात्मक कार्यक्रम निर्धारित कर दिया है, उससे वह एक पग भी पीछे नहीं हटेगी। अपने देशकी आजादीके लिए ईश्वरसे प्रार्थना करता हुआ. बुलन्दशहर जेल, ४ अक्तूबर, १९२१ मौनव्रती महावीर त्यागी Gandhi Heritage Portal