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जायेगा। उसमें कोई ऐसा कार्यक्रम तैयार होना चाहिए जिसे अगर हम स्वीकार कर लें तो फिर अपने प्राणोंकी बाजी लगाकर भी पूरा करें। मैं आशा करता हूँ कि हर सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्रसे सम्बन्धित सभी बातोंकी पूरी-पूरी जानकारी लेकर आयेगा। और मैं यह आशा करता हूँ कि हर कोई, जहाँतक उस कार्यक्रम के अन्तर्गत उसके अपने दायित्वोंका सम्बन्ध है, अपने मनको सब-कुछ स्वीकार कर लेनेके लिए तैयार करके आयेगा। हर सदस्यको, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, समझना चाहिए कि वह जनताका और विशेष रूपसे अपने निर्वाचकोंका ऐसा सच्चा प्रतिनिधि है जैसे सच्चे प्रतिनिधि होनेका दावा नई कौंसिलोंके सदस्य किसी तरह नहीं कर सकते। अगर उसे जनताके एक प्रतिनिधिकी हैसियतसे दो महीनेमें राष्ट्रीय लक्ष्यकी प्राप्तिमें अपनी उचित भूमिका निभानी है तो उसे अपनी जिम्मेदारीका अर्थ ठीकसे समझ लेना चाहिए।

और भी हस्ताक्षर

कराची-प्रस्ताव सम्बन्धी एक ज्ञापनमें[१] अपने हस्ताक्षर दाखिल कराने के लिए मेरे पास तारों और पत्रोंका तांता लग गया है। ये तार देशबन्धु दास-जैसे बड़ेसे-बड़े लोगोंसे लेकर साधारणसे-साधारण लोगोंतक ने भेजे हैं। मैं सभी नाम नहीं बता रहा हूँ, क्योंकि यह जरूरी नहीं समझता। यह इस बातको प्रकट करनेका एक रास्ता था कि सिर्फ मुसलमान मुल्ले आदि ही इस सरकारकी सेवा करना पापमय नहीं मानते, और कराची-प्रस्तावके हामी सिर्फ अली-बन्धु और उनके साथी अभियुक्त ही नहीं हैं। अगर सरकार हस्ताक्षरकर्त्ताओंको गिरफ्तार करे तो बहुत-से दूसरे लोग भी इस सम्मानको प्राप्त करने के लिए घोषणापत्रपर हस्ताक्षर करनेको तैयार हैं।

कांग्रेसको वित्तीय स्थिति

अखबारोंमें मैंने तिलक स्वराज्य कोषके लिए उगाही और उस रकमकी व्यवस्था-के बारेमें आलोचना पढ़ी है। बेशक जनताको इस कोषके बारे में और कांग्रेसके अन्य चन्दोंके सम्बन्धमें जाननेका हक है। मेरे विचारसे, कांग्रेसकी वित्तीय स्थिति आज जितनी सन्तोषजनक कभी नहीं रही। श्री सोपारीवालाको सारे भारतमें कांग्रेसका लेखा-परीक्षक नियुक्त किया गया है। जब श्री सोपारीवाला कांग्रेसकी सभी शाखाओंका निरीक्षण करके स्थिति के बारेमें अपनी रिपोर्ट दे देंगे तब इस विषयपर अधिक निश्चिततापूर्वक कुछ कहा जा सकेगा। उगाहीके बारेमें १ जुलाईको जो घोषणा की गई थी [२], वह अबतक कायम है। श्री दासका तार पढ़ने में मैंने एक गलती की थी। मैंने यह पढ़ा था कि पन्द्रह लाख इकट्ठा किया जा चुका है और दस लाख और इकट्ठा हुआ ही समझा जाये। उनसे मिलनेपर मुझे मालूम हुआ कि पन्द्रह लाखका तो निश्चित वादा किया गया है और वे इस संख्याको पचीस लाखतक ले जानेकी आशा करते हैं। जब मैं पिछली बार कलकत्ता गया, उस समयतक श्री दास पन्द्रह

 
  1. देखिए “एक ज्ञापन”, ४-१०-१९२१।
  2. देखिए खण्ड २०।