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पाठकोंसे

 

मोपला उपद्रवसे हमें एक और भी सबक मिलता है। ऐसा नहीं हो सकता कि हम अपने देशभाइयोंके किसी अंशको बिलकुल अन्धकारमें छोड़ दें और फिर आशा करें कि उनकी यह अवस्था खुद हमारे ही सिर विपत्ति बनकर नहीं टूटेगी। हमारे अंग्रेज “मालिकों” को इस बातमें कोई दिलचस्पी नहीं थी कि मोपला लोग भी ढंगके नागरिक बनें और सहिष्णुताका गुण सीखें और इस्लामके सत्यको ग्रहण करें। लेकिन हम भी सदियोंसे अपने इन अज्ञान देशभाइयोंकी उपेक्षा ही करते आये हैं। हमने प्यारकी इस पुकारको नहीं सुना और यह प्रयत्न नहीं किया कि कहीं कोई भी ममताकी मानवीय भावनासे अनभिज्ञ या अन्न और वस्त्र के अभावसे पीड़ित न रह जाये। अगर हम समयपर नहीं जगते तो हम देखेंगे कि अज्ञानके अन्धकारमें डूबे सभी वर्ग ऐसे ही भयंकर कृत्य कर रहे हैं। वर्तमान जागरण सभी वर्गोंको प्रभावित कर रहा है। अगर हम अपने कियेका प्रायश्चित्त नहीं करते और अछूतों और तथाकथित अर्ध जंगली कहे जानेवाले कबीलोंके प्रति जल्दी ही न्याय नहीं करते तो वे, हमने उनके प्रति जो अन्याय किया है, उसकी कहानी दुनियाको सुनायेंगे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २०-१०-१९२१
 

१३९. पाठकोंसे

इस अंकमें अन्यत्र मैं यह कह चुका हूँ कि अब मैं जहाँतक मुझसे बन सकेगा यह वर्ष गुजरातमें ही बिताना चाहता हूँ और सो भी आश्रममें।

ऐसा करनेका उद्देश्य यही है कि मैं यथासम्भव एकान्तका सेवन कर सकूँ, सोच-विचार कर सकूँ, लिख सकूँ और जिससे मिलना चाहिए उससे मिल सकूँ। यदि मुझे देखने के लिए सारा दिन ही लोग आते रहें तो मैं यह काम नहीं कर सकता। लोगोंका मेरे प्रति ऐसा प्रेमभाव है कि वे आश्रम में मुझसे मिलने के लिए आते ही रहते हैं। यदि ऐसा हो तो मुझे जितना काम करना है उतना नहीं हो सकता।

इसलिए ‘नवजीवन’ के उन पाठकोंसे, जो आश्रम में प्रायः आते रहते हैं, मेरी प्रार्थना है कि महज मुझे देखनेके खातिर वे न आयें। इसकी अपेक्षा अधिक अच्छी बात तो यह है कि वे मुझे देखने आने के लिए जितना समय नष्ट करते हैं उतना वे पींजने, कातने और बुननेमें लगायें। जिन्हें मुझसे कुछ भी पूछना है वे अगर लिखकर पूछेंगे तो भी उन्हें जवाब मिलेगा।

जिनका आये बिना चल ही नहीं सकता वे यदि पूछकर आयें तो उनका समय बचेगा; अथवा वे शामके तीन बजेसे लेकर चार बजेतक आ सकते हैं; सवेरे तो, कोई मुझसे खास तौरपर पूछे बिना न आये, क्योंकि सवेरेका समय में लिखने-पढ़ने आदिमें बिताता हूँ।

जब हम, जो जनताकी सेवा करना चाहते हैं, जनताके हितकी दृष्टिसे अपना और दूसरोंका अच्छेसे अच्छा उपयोग करेंगे तभी इस बाकी समयमें अपना कार्य पूरा

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