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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर सकेंगे। ऐसा करने के लिए मैं ‘नवजीवन’ के पाठकोंसे तो मददकी पूरी-पूरी उम्मीद रखता ही हूँ और मैं मानता हूँ कि यदि ‘नवजीवन’ के सभी पाठक ‘नवजीवन’ में दी गई सलाहका पूरा उपयोग करें और उसे अमलमें लायें तो भी हम समयपर ध्येय-को प्राप्त कर सकते हैं। सत्य, शौर्य और परिश्रमकी अत्यन्त आवश्यकता है। यदि हम इस वर्ष स्वराज्य प्राप्त न कर सकें तो इसका एकमात्र कारण हमारा आलस्य ही होगा।

उद्योगी स्त्री-पुरुषोंको इस बातका विचार करना चाहिए कि उनका समय कैसे व्यतीत होता है और उसका दैनिक हिसाब रखना चाहिए। उन्हें एक क्षण भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए, व्यर्थकी बातों में नहीं खोना चाहिए और अपनी आजीविका कमाते हुए भी देशके हितका ध्यान रखना चाहिए। इतना ही नहीं, बाकीका समय सिर्फ देशकार्य में ही लगाना चाहिए।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २०-१०-१९२१
 

१४०. टिप्पणियाँ

सूरतका अनुभव

मैं एक दिनके लिए सूरत हो आया हूँ। वहाँ मैं मात्र अनुभव प्राप्त करने के लिए गया था।

नवसारी, कठोड़ आदि स्थानोंसे भी ऐसी ही माँग की गई थी, लेकिन मैं उसे स्वीकार नहीं कर सका। यदि गुजरातमें भी मैं प्रत्येक स्थानपर जाता-आता रहूँ तो जिस उद्देश्यको दृष्टिमें रखकर मैंने फिलहाल भ्रमण बन्द कर देनेका इरादा किया है वह उद्देश्य पूरा नहीं होगा। मेरे लिए तो यही उचित है कि मैं आश्रम में बैठे-बैठे ही जो लिख पाऊँ सो लिखूँ और जो सुझाव दे सकूँ, सो दूँ।

मैं बहुत बोल चुका हूँ। यदि मेरी उपस्थितिसे किसी स्थानके लोगोंको अधिक बल मिलता है तो मेरे खयालसे उन्हें अब उस बलके बिना भी काम चला लेना चाहिए। यह ज्यादा जरूरी है कि हम लोगोंने अभी जितना बल प्राप्त कर लिया है हम उसीमें इजाफा करें और उसका जितना उपयोग किया जा सकता है, करें; ऐसा करनेपर ही हम इसी वर्ष स्वराज्य प्राप्त करने के अपने निश्चयको पूरा कर सकेंगे। देशमें जो जागृति आई है उसके ठीक-ठीक उपयोग होते रहनेमें ही स्वराज्य निहित है; ऐसी मेरी मान्यता है। इसलिए लिख-पढ़कर दी गई मेरी सलाह और कातने के द्वारा दिये गये मेरे उदाहरणके रूपमें ही मेरी सेवाओंका अधिक उपयोग अब जनता कर सकेगी।

मैं सूरत गया था, सो मात्र जाँच करने के उद्देश्यसे ही गया था। सूरत किस हदतक स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए तैयार हो गया है सो देखनेके लिए मैंने सूरत में