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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

टला--जो हमारे जिलेका दूसरा बड़ा नगर है -- के वकीलोंने भी यही करनेका निश्चय किया। श्री प्रकाशम्[१] और मैं वकीलोंसे अदालतोंका ऐसा ही बहिष्कार कराने के उद्देश्यसे इस जिलेके दूसरे शहरोंके दौरेपर निकल रहे हैं। गण्टूर नगरमें दो जिला मुन्सिफ कचहरियों और कई मजिस्ट्रेटकी कचहरियोंके अतिरिक्त एक जिला अदालत और दो छोटी अदालतें भी हैं। बापटलामें एक छोटी अदालत और दो जिला मुन्सिफ कचहरियाँ हैं। आजकल इक्का-दुक्का लोगोंके अलावा सबने इन कचहरियोंको छोड़कर उजाड़ बना दिया है। हमें आशा है कि जिलेके और शहरों में भी अदालतें इसी प्रकार उजड़ जायेंगी। नये मुकदमों और अपीलोंकी सुनवाई और निर्णयके लिए पंचायती कचहरियाँ स्थापित की गई हैं, और इन कचहरियोंका पहला इजलास परसों शुरू होगा (यानी सोमवार ८ तारीखको)। हमारा लक्ष्य तो यह है कि ब्रिटिश अदालतोंमें चालू सब मुकदमों और अपीलोंको वहाँसे हटाकर पंचायती कचहरियोंमें पेश किया जाये। समान कचहरियोंकी नियमित स्थापना और उसके फलस्वरूप ब्रिटिश अदालतोंकी न्याय-व्यवस्थाके ठप हो जानेके बाद मुझे आशा है कि और दूसरे जिले भी इस दृष्टांतका अनुगमन करेंगे। हमारा उद्देश्य यह है कि पहले इस जिलेमें हम यह काम समाप्त कर लें और फिर दूसरे जिलोंकी ओर बढ़ें-- यदि इस बीचमें वे स्वयं ही ऐसा काम शुरू नहीं कर देते।

इस जिलेके, खासकर इस नगरके व्यापारी वर्ग में उल्लेखनीय जाग्रति हुई है। लोकमान्य तिलकको[२] निधन-तिथिपर लगभग वे सभी नये स्वदेशी कपड़े पहनकर जुलूस और सभामें शामिल हुए। कपड़ोंके व्यापारी स्वदेशी कपड़ेका धन्धा करनेको तैयार हैं यदि हम उनके विदेशी मालके भण्डारको निपटानेका कोई उपाय उनको बताएँ। इस समूचे जिलेमें २९ लाख रुपयेकी कीमतका विदेशी कपड़ा और सूत है। उसमें से आधा हिन्दुस्तानी मिलोंसे प्राप्त है। इस गण्टूर नगर में व्यापारियोंके पास ३ लाख रुपयेकी कीमतुका विदेशी कपड़ा और सूत पड़ा है। इस मालको वे भारतके बाहर कहीं भी भेजनके लिए और फिर केवल स्वदेशी कपड़े और सूतका धन्धा करनेके लिए तैयार हैं।

अतः आपसे मेरी विनय है कि आप कृपापूर्वक मेरा बम्बईके ऐसे मित्रोंसे सम्पर्क करा दीजिये जो मुझे यह बताने को तैयार हों कि बम्बईके कपड़के व्यापारी अपने विदेशी मालकी क्या व्यवस्था करनेवाले हैं और यह कि यहाँ हम अपने व्यापारी मित्रोंको बिना हानि उठाये भारतके बाहर अपना माल निर्यात कर सकने में क्या सहायता दे सकते हैं ?

  1. टी० प्रकाशम् (१८७६ - १९५७ ); स्वराज्यके सम्पादक; आन्ध्र केसरीके नामसे विख्यात; मद्रास राज्य के प्रथम मुख्य-मन्त्री ।
  2. बाल गंगाधर तिलक (१८५६-१९२० ); राजनीतिज्ञ नेता, विद्वान् और लेखक ।