पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 21.pdf/३८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३४९
टिप्पणियाँ

प्रतिशत ऐसा एक व्यक्ति तो वहाँ होना ही चाहिए। इसका अर्थ यह हुआ कि पाँच लाखकी आबादीवाले जिलेमें इस प्रकार शान्तभावसे मरनेवालोंकी संख्या कमसे-कम पाँच हजार होनी चाहिए।

४. वहाँके हिन्दू अस्पृश्यताको पाप समझते हों और भंगी ढेढ़ आदिके साथ ममतापूर्ण व्यवहार करते हों।

यह हुआ मानसिक आचरण। इसके अलावा उनकी सच्चाई और उत्साहके प्रमाणस्वरूप:

५. वहाँके नब्बे प्रतिशत स्त्री-पुरुष विदेशी कपड़ेका उपयोग न करते हों और अपने हाथसे कते सूत और अपने जिलेमें तैयार खादीके वस्त्र पहनते हों। उनके बीच प्रति दस व्यक्तिके हिसाब से एक चरखा चलता हो।

इन सभी शर्तोंका पालन करना बहुत आसान है और यदि एक जिलेके लोग भी यह करें तो स्वराज्य लगभग हाथमें आ जाये और यदि समस्त गुजरात इस तरह तैयार हो जाये तो हम निश्चय ही स्वराज्य प्राप्त कर लें। इसी तरह यदि किसी एक भी जिलेमें दस व्यक्तियों में से अपने प्राणोंकी आहुति देनेवाला एक भी व्यक्ति हो तो हमें स्वराज्य अवश्य मिल जायेगा। पाठक समझ सकेंगे कि इन सबका केवल एक ही कारण है और वह यह कि हम अपने युद्धको सत्य और अहिंसामय मानते हैं। यदि सत्य और अहिंसा हमारे दिलोंमें समा गये हैं तो उपर्युक्त शर्तोंका पालन हमारे लिए खेलके समान है। इतना तो सभी याद रखें कि हम अपने विरोधियोंका, फिर चाहे वे अंग्रेज हों अथवा हमारे ही वर्णके सरकारके सहयोगी, अपमान नहीं करेंगे, उन्हें भला-बुरा नहीं कहेंगे, उनका तिरस्कार नहीं करेंगे। हमें अपने बलके आधार-पर ही जूझना है, उनका अहित नहीं करना है।

हमारी लड़ाई सभ्यताकी है और सुसभ्य व्यक्ति के लिए इस जगत में कोई शत्रु नहीं है―कदापि नहीं।

दिवाली

दिवाली अब नजदीक आ गई है। उसकी तैयारी कैसे की जाये, यह मैं पहले एक-दो बार बतला चुका हूँ[१], लेकिन, फिर भी आज उसपर कुछ लिखता हूँ। दिवालीके लिए हमें पवित्र बनना चाहिए। चरखेकी पूजा ही लक्ष्मी-पूजा है, अर्थात् हरएक घरमें अच्छेसे-अच्छा चरखा दाखिल कर देना चाहिए। और उसपर नित्य कुछ सूत हमें कातना चाहिए। दिवालीपर तो घरके सब आदमियोंको बारी-बारीसे दिन-भर चरखा कातना चाहिए। और उसमें से जो सूत निकले उसे हमें अपनी बहियोंमें देशके खाते में जमा करना चाहिए।

बच्चोंको दिवालीपर कोई-न-कोई नई चीज अवश्य ही मिलनी चाहिए। इसलिए हमें हाथसे कते सूतकी खादीकी गुड़ियाँ लड़कियोंको देनी चाहिए और खादीके सुन्दर बस्ते बालकोंको देने चाहिए। हाथके सूतकी रस्सियाँ बनाकर बच्चोंको रस्सा-खेंचके

 
  1. देखिए “टिप्पणियाँ”, ९-१०-१९२१।