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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मुझे यकीन है कि पाठक यह समझ लेंगे कि ऊपरका पत्र उनके सामने रखने के अनेक कारण होंगे। मेरा अपना ख्याल है कि यह ऐसा भावपूर्ण दस्तावेज़ है जिससे मौलानाकी पूरी हस्ती उभर कर सामने आ जाती है। यह पत्र मजिस्ट्रेटको कुदरतन भेजे जाने की अनुमति देनी पड़ी। मेरी यह इच्छा नहीं हुई कि मैं पत्रका एक हरूफ भी निकाल दूं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २७-१०-१९२१

१५२. युवराजका सम्मान करें

इस लेखका शीर्षक देखकर पाठक आश्चर्य न करें। मान लीजिए युवराज एक ऊँचे पदपर आसीन आपके सगे भाई ही होते, मान लीजिए पड़ोसी लोग अपने नीच स्वार्थोंकी सिद्धि के लिए उनका दुरुपयोग करनेको होते, यह भी फर्ज कीजिए कि वे मेरे पड़ोसियोंके हाथोंमें होते, मेरी आवाज उनतक ठीकसे पहुँच नहीं पाती और उक्त पड़ोसी लोग उन्हें मेरे गाँव ला रहे होते, तो उनके प्रति सच्चा सम्मान क्या यह नहीं होगा कि उनसे नाजायज फायदा उठानेके सिलसिलेमें उनके 'सम्मान' में आयोजित समस्त समारोहोंसे मैं अलग रहूँ और हर सम्भव तरीकेसे उन्हें यह जताऊँ कि लोग उनसे नाजायज फायदा उठाने जा रहे हैं? अगर में अपने पड़ोसियों द्वारा बिछाये गये जालमें पाँव रखने के विरुद्ध उन्हें सचेत न करूँ तो क्या यह उनके प्रति धोखेबाजी नहीं होगी?

मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि युवराजकी यात्राका नाजायज फायदा उठाकर भारतमें ब्रिटिश शासनके "कल्याणकारी" रूपका प्रचार किया जा रहा है। और अगर महाविभव युवराजको उनके व्यक्तिगत आमोद-प्रमोद और कीड़ाके लिए लाया जा रहा है तो यह हमारे प्रति अन्याय है। इसके लिए यह अवसर सर्वथा अनुपयुक्त है। सर्वसाधारणका मन आज उस प्रणालीके प्रति असन्तोषकी भावनासे भरा हुआ है, जिसके अन्तर्गत उसपर शासन किया जा रहा है। खुलना और रायलसीमाके इलाकेमें अकाल पड़ा हुआ है और मलाबारमें सशस्त्र संघर्ष चल रहा है। भारतके प्रति यह अन्याय है कि सिर्फ एक तमाशेपर करोड़ों रुपये खर्च किये जायें जब कि करोड़ों लोग बहुत समयसे भुखमरीकी अवस्था में रह रहे हों। इस तमाशेके लिए आठ लाख रुपये खर्च करनेकी स्वीकृति तो सिर्फ बम्बईकी कौंसिलने ही दे दी है।

युवराजके आगमनपर उनका स्वागत करनेके लिए देशमें सर्वत्र दमनचक्रको गति दे दी गई है। सिन्धमें कोई छप्पन असहयोगी जेलोंमें हैं। कुछ बहादुरसे-बहादुर मुसलमानोंपर इसलिए मुकदमे चल रहे हैं कि उनके विचार अमुक ढंगके क्यों हैं। बंगालके उन्नीस कार्यकर्ताओंको अभी हालमें जेल भेजा गया है। इनमें अपने वहाँके प्रमुख बैरिस्टर श्री सेनगुप्त भी हैं। एक मुसलमान पीर और तीन अन्य आत्मत्यागी कार्यकर्ताओं को ऐसे ही "अपराध" पर जेल भेज दिया गया है। कर्नाटकके भी बहुतसे नेताओ