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युवराजका सम्मान करें

को जेल भेज दिया गया है, और अब उसके प्रमुख नेतापर महज वे ही बातें कहने के कारण मुकदमा चल रहा है जो बातें मैं इन स्तम्भोंमें बार-बार कहता आया हूँ और कांग्रेसी लोग भी सारे देशमें गत बारह महीनोंसे कहते आ रहे हैं। मध्य प्रान्तके भी बहुतसे नेताओंको इसी तरह जेलोंमें बन्द कर दिया गया है। डा० परांजपे जो एक अत्यन्त लोकप्रिय डाक्टर हैं और अपनी आत्मत्यागकी भावनाके लिए प्रसिद्ध हैं, किसी आम जरायमपेशा आदमीकी तरह कठोर कारावास भोग रहे हैं। और कोई यह न समझे कि जेल भेजे गये असहयोगियोंकी यह पूरी सूची है—और भी बहुत-से लोग हैं। इन लोगोंकी कैद चाहे असली अपराधकी द्योतक हो या बढ़ते हुए असन्तोषकी, लेकिन युवराजके आगमनके बारेमें जो कमसे-कम कहा जा सकता है वह यह कि उनकी यात्राके लिए बहुत ही अनुपयुक्त अवसर चुना गया है। इस बातमें किसी तरहके सन्देहकी गुंजाइश ही नहीं है कि लोग नहीं चाहते कि इस समय युवराज यहाँ आयें। उन्होंने अपना मत स्पष्ट शब्दोंमें प्रकट कर दिया है। उन्होंने घोषित किया है कि जिस दिन युवराज बम्बईमें उतरें, उस दिन वहाँ हड़ताल की जाये। लोगोंके ऐसे तीव्र विरोध के बावजूद युवराजको यहाँ लाना लोगोंकी इच्छाके विरुद्ध किया गया कार्य है।

इन परिस्थितियों में हम क्या करें? हमें युवराजके सम्मानमें आयोजित सभी समारोहोंका बहिष्कार करने का प्रयत्न करना चाहिए। इस उद्देश्यसे आयोजित सदाव्रतों, भोजों और जलसों तथा आतिशबाजियोंसे हमें संकल्प पूर्वक अलग रहना चाहिए। हमें विशेष प्रकाशकी व्यवस्था नहीं करनी चाहिए और न प्रकाशका आयोजन देखने के लिए अपने बच्चोंको बाहर जाने देना चाहिए। इस उद्देश्यसे हमें करोड़ों पर्चे छापकर लोगोंके बीच बँटवाना चाहिए, और इस तरह उन्हें बताना चाहिए कि इस मामलेमें उनका क्या कर्त्तव्य है। जिस दिन युवराज बम्बईमें उतरें उस दिन अगर बम्बई बिलकुल वीरान दिखाई दे तो यही उनका सच्चा सम्मान होगा।

लेकिन युवराजको व्यक्तिके रूपमें हमें अलग करके देखना है। व्यक्ति के रूप में उनके प्रति हमारे मनमें कोई दुर्भावना नहीं है। वे शायद भारतकी भावनाके बारेमें कुछ भी नहीं जानते हों; उन्हें यहाँ चल रहे दमनचक्रकी शायद कोई जानकारी न हो। और उतना ही सम्भव यह भी है कि वे इस तथ्यसे अनभिज्ञ हों कि पंजाबका घाव अभी बिल्कुल हरा है, खिलाफतके मामले में भारत के साथ जो धोखेबाजी की गई उसकी स्मृति अब भी एक-एक भारतीयके हृदयमें ज्योंकी-त्यों बनी हुई है, और जैसा कि सरकारने खुद कहा, नई कौंसिलोंके सदस्य यद्यपि कहनेको निर्वाचित सदस्य हैं, किन्तु दरअसल मतदाता सूचियोंमें जिनके नाम दर्ज हैं, उनमें से चन्द लाख व्यक्तियोंका भी वे प्रतिनिधित्व नहीं करते! युवराजको शारीरिक रूपसे कोई क्षति पहुँचाने या ऐसी कोई कोशिश करनेका मतलब न केवल क्रूरता और अमानवीयता होगी, बल्कि ऐसा करके हम अपने आपको और युवराजको धोखा देंगे, क्योंकि हमने स्वेच्छासे यह शपथ ली है कि हम अहिंसापर दृढ़ बने रहेंगे। अगर हम युवराजको जरा भी चोट पहुँचाते हैं या उनका अपमान करते हैं तो वह भारत और इस्लामके साथ इतना बड़ा अन्याय होगा जितना बड़ा कोई अन्याय अंग्रेजोंने भी इनके प्रति नहीं किया है।