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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

३. अगर आप महात्मा नहीं हैं तो क्या कभी आपने अपने अनुयायियोंसे कहा है कि ‘मैं महात्मा नहीं हूँ।’

ज्यों-ज्यों मैं इसके खिलाफ आवाज उठाता हूँ त्यों-त्यों उसका प्रयोग बढ़ता जाता है।

४. क्या साधारण जनता आपके ‘आत्म-बल’ को प्राप्त कर सकती है?

उसके पास तो वह बल पहले ही बहुतायतसे है। एक दफा फ्रांसिसी वैज्ञानिकोंका एक दल ज्ञानकी खोजमें निकला और घूमता-फिरता भारत आ पहुँचा। दलके सदस्योंने अपनी अपेक्षाके अनुसार उस ज्ञानको विद्वन्मण्डलीमें खोजनेका भगीरथ प्रयत्न किया; परन्तु वे इसमें कृतकार्य न हुए। पर उन्हें वह अचानक एक पंचमके झोंपड़ेमें मिल गया।

५. आप कहते हैं कि ये ‘यन्त्र’ तो भ्यताके लिए अभिशाप सिद्ध हुए हैं। तब आप रेलगाड़ी और मोटरमें क्यों सफर करते हैं?

कुछ बातें ऐसी हैं जिनके फन्देसे, प्रयत्न करते हुए भी, एकबारगी नहीं छूट सकते। मेरा यह पार्थिव ढाँचा जिसमें मैं बन्द हूँ, मेरे जीवनमें अनेक परेशानियों और चिन्ताओंका कारण है; परन्तु मैं उसको सहन करने के लिए और, जैसा आप जानते हैं, उनके आगे झुकनेके लिए भी मजबूर हूँ। परन्तु क्या आपको वास्तवमें इस बात में शक है कि ‘इस पिछले महायुद्धमें जो आयोजित नर-संहार हुआ उसका कारण यह ‘यन्त्र-युग’ ही है?’ विषाक्त गैस तथा अन्य दूषित वस्तुओंसे हमारी एक इंच भी प्रगति नहीं हुई है।

६. क्या यह बात सच है कि पहले आप रेलगाड़ीमें तीसरे दरजेके डिब्बेमें बैठकर यात्रा करते थे और अब आप स्पेशल गाड़ीमें और पहले दरजेके डिब्बेमें बैठकर चलते हैं?

अफसोस! आपको यह सही खबर मिली है। स्पेशल गाड़ियोंका कारण तो यह महात्मापन है और दूसरे दर्जेके डिब्बोंतक पहुँचने के अधःपतनका कारण यह पार्थिव कलेवर।

७. काउंट टॉल्स्टॉयको आप किस दृष्टिसे देखते हैं?

मैं उनको अत्यन्त आदरकी दृष्टिसे देखता हूँ और अपने जीवनकी कितनी ही बातोंके लिए मैं उनका ऋणी हूँ।

८. आप स्वराज्यको व्याख्या क्यों नहीं करते? क्या आप यह नहीं समझते कि कमसे-कम अपने अनुयायियोंके लिए तो आप इस शब्दकी व्याख्या करनेके लिए बाध्य हैं?

पहले तो, यह शब्द ऐसा नहीं है जिसकी व्याख्या की जा सके। दूसरे, अगर प्रश्नकर्ता ‘यंग इंडिया’ की फाइल देखेंगे तो उसमें उनको उसकी व्यावहारिक व्याख्या मिल जायेगी। तथापि मैं यहाँ दूसरी व्याख्या करने का प्रयत्न करता हूँ। स्वराज्यका अर्थ है―मत प्रकट करनेकी और कार्य करनेकी ऐसी पूरी आजादी जिससे दूसरेके