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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

थे। वे चुरानेवाले शख्सको जानते भी थे। परन्तु उन्होंने इस रुपयेका खयाल ही छोड़ दिया।

१५. आपके सत्याग्रहका पंजाबपर क्या असर हुआ है?

सर माइकेल ओ'डायर सत्याग्रहके सन्देशको पंजाबमें नहीं पहुँचने देना चाहते थे। इससे कुछ पंजाबी लोग उत्तेजित हो गये और कुछ लोग अपनेको काबूमें न रख सके। सर माइकेल ओ'डायर तो उनसे भी ज्यादा भड़क उठे। और उन्होंने अपने सहायक के द्वारा बे-गुनाह लोगोंकी हत्या करवा डाली। लेकिन सत्याग्रह तो एक बड़ी पौष्टिक दवा है और अब पंजाबमें वैसी ही सजीवता दिखाई देती है जैसी भारतके दूसरे प्रान्तों में है और वहाँके लोगोंके मिजाज तेज होते हुए भी वहाँ ऐसा आत्मसंयम दिखाई दे रहा है, जो दूसरे प्रान्तोंके लिए स्पृहणीय है।

१६. क्या आप वाकई मानते हैं कि यह असहयोग शान्तिमय बना रह सकता है?

जरूर। सिन्ध, कर्नाटक और पूर्व-बंगालमें, गिरफ्तारियोंके समय और उसके बाद भी लोगोंने जो आश्चर्यजनक संयम दिखाया है वह इस बातका सबूत है।

१७. हिन्दुओंको बलात् मुसलमान बनाने और उनके घरोंमें लूटपाट मचानेका हिन्दू-मुस्लिम एकतापर क्या प्रभाव पड़ा है?

इससे हिन्दुओंके धैर्यको गहरा धक्का पहुँचा है; परन्तु उन्होंने उसे सहन कर लिया है। उनके धीरजका ज्योंका-त्यों बना रहना साबित करता है कि इस एकताका आधार ज्ञान है। मोपलोंकी इस धर्मान्धताको कोई भी मुसलमान अच्छा नहीं कहता।

१८. मलाबारमें हिन्दुओं और मुसलमानों की एकतामें जो यह भंग हुआ है उसका वास्तविक कारण क्या है?

जहाँ उत्पात हुआ है वहाँ एकताका भंग नहीं हुआ। मोपले आजतक कभी हिन्दुओंको अपना भाई नहीं समझ सके थे। उत्पातके वे ही कारण हैं जो १९१९ में पंजाबमें थे। मलाबारमें असहयोगका सन्देश अभी बिलकुल अनिश्चित रूपसे ही पहुँच पाया था तभी अधिकारियोंने उसकी गति बन्द कर दी। मोपले मलाबारके हिन्दुओंके साथ कभी खास तौरपर मेल-जोलसे नहीं रहे। वे पहले भी उन्हें लूट चुके हैं। इस्लाम के सम्बन्धमें उनकी कल्पना बड़ी अपरिपक्व है। सरकारने उन्हें बिलकुल अँधेरेमें रखा था और मुसलमानों और हिन्दुओंने भी उनकी हालतपर कभी ध्यान नहीं दिया था। वे स्वभावके उग्र और वीर हैं, परन्तु अज्ञानी हैं। इससे उन्होंने खिलाफतके ध्येयको समझने में गलती की और यह बेरहमीका जंगली एवं धर्म-विरुद्ध काम कर डाला। मोपलोंके इस वर्तमान व्यवहारको देखकर इस्लाम या भारतके शेष मुसलमानोंके बारेमें निर्णय करना अनुचित होगा।

१९. क्या आप बता सकते हैं कि आपने खिलाफत और पंजाबके अत्याचारोंका जो गठबन्धन किया, उसका क्या कारण है?

खिलाफतके अन्यायका जन्म पंजाबके अत्याचारोंसे पहले हुआ है और मैंने उस प्रश्नको १९१८ में दिल्लीकी युद्ध-परिषद्‌में अपना प्रश्न बनाया। (वाइसरायके नाम