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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

गुजरातका एक भी ताल्लुका अगर ऐसी वीरता दिखायेगा तो स्वयं भी स्वराज्य लेगा और दूसरोंको भी दिलायेगा। आज हम जो आग सुलगा रहे हैं उससे ऐसी शक्ति प्रगट हो कि हमें जो करना है सो हम करके रहें।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ६-११-१९२१
 

१५७. कितने पानीमें?

अहमदाबाद, नडियाद और सूरतकी नगरपालिकाएँ कितने पानीमें हैं, इस बातका अब थोड़े समयमें पता चल जाना चाहिए। तीनोंने ही शिक्षा विभागपर सरकारी अंकुशको मानने से इनकार कर दिया है और अबतक उनकी शक्ति बढ़ी ही है। ऐसा कहा जाता है कि अब सरकारने इनकी कसौटी करनेका निश्चय किया है। सरकारने जो नोट जारी किया है उसमें नगरपालिकाओंको धमकी दी गई है तथा कर-दाताओंको भड़काया गया है। सरकारका कहना है कि जिन्होंने शिक्षाको [सरकारी नियन्त्रणसे] स्वतन्त्र रखने के प्रस्तावका समर्थन किया है उन्होंने अपनेको जोखिममें डाला है और उनपर कोई भी कर-दाता दावा ठोक सकता है। ऐसी सूचनाके अर्थको तो हम जानते ही हैं। अब सरकारका दूसरा कदम यह होना चाहिए कि वह किसी कर-दाताको खड़ा करके उसके द्वारा नगरपालिकाके किसी सदस्यपर दावा दाखिल करवाये। मैं उम्मीद रखूंगा कि सरकारको ऐसा कोई भी कर-दाता न मिलेगा कि जो, अपना काम धर्म समझकर करनेवाले नगरपालिका-सदस्यपर दावा करेगा और यह उम्मीद भी करता हूँ कि अगर कोई ऐसा कर-दाता निकल आये तो इससे वह सदस्य भयभीत न होगा। यदि ऐसे जोखिमोंसे खेलनेकी शक्ति हममें न आई तो हम अपने आपको स्वराज्य प्राप्त करनेकी योग्यता रखनेवाला कैसे मान सकते हैं?

सरकार जो दूसरा काम कर सकती है वह यह है कि नगरपालिकाओंको रद करके आयोगकी नियुक्ति द्वारा शहरोंका काम स्वयं करे। ज्यादासे-ज्यादा वह इतना ही कर सकती है। यदि सरकार ऐसा करती है तो उस परिस्थितिमें मुझे स्वराज्य पानेकी सम्भावना प्रतीत होती है। यदि सरकार ऐसा करेगी और यदि हम पूरी तरह तैयार होंगे तो हम युद्धका जो अवसर चाहते थे वह मानो हमें मिल गया और इस तरह अनायास ही प्राप्त हुआ यह अवसर किस योद्धाको प्रिय नहीं लगेगा?

जिस तरह कोई डूबता हुआ मनुष्य तिनका पकड़नेको लपकता है उसी तरह सरकार भी जो-कुछ उसकी पकड़में आता है उसे पकड़ लेती है और उसके फलस्वरूप और भी अधिक डूबती जाती है। क्या हम तैयार हैं?

अगर इन तीनों शहरोंके निवासी तैयार हों तो सरकारको हार माननी ही पड़ेगी। सरकारका किसीके द्वारा दावा करवाना तो बिलकुल ही हास्यास्पद होगा। सरकारके सामने दूसरा कदम नगरपालिकाको समाप्त कर देना है। इस कदमका स्वागत किया जाना चाहिए। जबतक सरकार नगरपालिकाओंको समाप्त नहीं करती है तब-