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१५९. टिप्पणियाँ

ढेढ़ लोगोंको सन्देश

सरकारने इस शीर्षकसे ढेढ़ोंमें एक गुजराती पत्रिका वितरित की है। इसमें कहा गया है, लोगोंमें ऐसी अफवाह है कि यदि वे लोग असहयोग आन्दोलनमें शामिल नहीं होंगे तो उनके घरोंको जला दिया जायेगा; यह अफवाह भी है कि सरकार उनकी रक्षा नहीं करेगी। पत्रिकामें कहा गया है कि यह अफवाह झूठी है और "कोई भेदभाव किये बिना समस्त जातियोंके लोगों के विकास के लिए जितना सम्भव है उतना करने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।"

यदि किसीने ढेढ़ भाइयोंको धमकी दी है अथवा किसीने उनके घरमें आग लगाई है तो उसे असहयोगी नहीं कहा जा सकता, उसे हिन्दू अथवा भारतीय भी नहीं कहा जा सकता। मैं यह बात मान ही नहीं सकता कि कोई ऐसी धमकी दे भी सकता है। लेकिन यदि ऐसी धमकी दी भी गई हो तो सरकार उनकी क्या रक्षा कर सकती है? उसने क्या किया है? जिस ढेढ़को रेलोंमें उद्धत हिन्दू गाली देते हैं सरकार उसे क्या रक्षण दे पाती है ? कचहरियोंमें जिन्हें पहचान लेने के बाद अधिकारी लोग स्वयं ही परेशान करते हैं, उन्हें क्या रक्षण दिया जाता है? जो कुँआ, मकान और स्कूल रहित हैं, उनकी सरकार क्या रक्षा करती है? उनकी हालतमें सरकारने क्या सुधार किया है, यह बात मैं अवश्य जानना चाहूँगा।

हाँ, सरकारने एक काम तो जरूर किया है। इसमें सन्देह नहीं कि उसने उनसे बहुत बेगार ली है, उनमें से कुछेकको गो-मांस-भक्षी बना दिया है, उनकी खराब आदतोंको पोषित किया है। उनकी नैतिक स्थितिमें लवलेश भी सुधार नहीं किया है। हाँ, अब उन्हें टाउनहालमें सभा करने की अनुमति अवश्य दी है। इसका कारण युवराजको सम्मान दिया जाना है। इसमें तो केवल सरकारका स्वार्थ ही है। जहांतक मुझे जानकारी है, बम्बईके टाउनहालमें उनके द्वारा सभा आयोजित करनेका यह पहला अवसर है। यह तो केवल खुशामद अथवा घूस है। और उन सभीको जो युवराजके सम्मान में शामिल होना चाहते हैं, शामिल करनेके लिए सरकार आतुर है। यह एक निर्दोष युवराजका अपमान करना है, अपने स्वार्थ के निमित्त उसका दुरुपयोग करना है। युवराजका किस तरहसे सम्मान किया जानेवाला है अगर इसकी उन्हें खबर हो तो मैं नहीं जानता कि वे भारत आना पसन्द भी करेंगे अथवा नहीं। इतना होने पर भी यदि वे आते हैं तो यह बात अंग्रेज जनताकी शिक्षाकी चरम परिणति है कि जहाँ कर्त्तव्यका सवाल आता है वहाँ राजा और प्रजा दोनों ही वर्ग हर तरहका बलिदान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसा त्याग यदि नीच स्वार्थसे प्रेरित होकर न किया गया हो तो त्याग करनेवाला मोक्षका अधिकारी होता है।

लेकिन मेरा उद्देश्य ब्रिटिश सरकार अथवा ब्रिटिश जनताकी भूल बताना कम और हिन्दुओंको अपने कर्तव्यका भान कराना अधिक है। हिन्दू धर्मावलम्बियोंने अपने

 
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