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टिप्पणियाँ

तब यदि भारतके बाकी लोग अहिंसक और ऐक्यबद्ध रह सकें तथा स्वदेशीके कार्य-क्रम पूरे करते रहें तो मेरा विश्वास है कि इस वर्षके दौरान स्वराज्यकी स्थापना पूरी तरह सम्भव है। मैं आशा तो यही करता हूँ कि ऐसे कई जिले तैयार होंगे। जो भी हो, कार्यकर्ताओंको अब यही तरीका अपनाना चाहिए कि वे दूसरोंकी चिन्ता छोड़कर अपने-अपने जिलोंपर पूरा ध्यान लगाकर उनको तैयार करें। वे जबतक पूरी तरह तैयार न हो जायें, तबतक कैदको न्योता न दें, और यदि बिना बुलाये उसकी नौबत आ ही जाये तो उससे मुँह न मोड़ें। उन्हें भाषण न देकर स्वदेशीका कार्यक्रम बिलकुल काम-काजी ढंगसे पूरा कर लेना चाहिए। जहाँ कार्यकर्ताओंको अपने जिलेमें किसी प्रकारका प्रोत्साहन न मिले वहाँ उनको हतोत्साह न होकर एक धुनाई, कताई और बुनाईके काममें ही महारत हासिल कर लेनी चाहिए। जिस समय उनके आसपासके लोग इसी सोच-विचारमें पड़े हों कि क्या किया जाये, उस समय यह उत्पादन ही उनके लिए सर्वश्रेष्ठ और सर्वांगपूर्ण कार्य होगा।

फूट डालो और राज करो

मद्रासमें श्री याकूब हसनकी गिरफ्तारी और दिल्लीमें श्री अन्सारी, सिन्धमें पीर मुजद्दिद और बंगालमें पीर बादशाह मियाँकी जेल-यात्रासे एक पाठकने यह निष्कर्ष निकाला है कि सरकार हमारे बीच फूट डालनेकी कोशिश कर रही है। वह हिन्दुओंको हाथ भी नहीं लगा रही है। इस प्रकार सरकार हिन्दुओंको अपना फरमा बरदार बना रही है और कांग्रेसकी बैठक होनेतक एक भी महत्त्वका ऐसा मुसलमान असहयोगी बाहर नहीं बचेगा जो कांग्रेसमें भाग ले सके और मुसलमानोंसे सम्बन्ध रखनेवाले प्रश्नों के बारेमें उसकी नीतिका मार्गदर्शन कर सके। मुझे आशा है कि इस पाठकका यह विश्लेषण सही नहीं है और सरकार ऐसी खतरनाक गलती नहीं करेगी। मेरा खयाल है कि सरकार अब समझ गई है कि वह हिन्दू और मुसलमान असहयोगियोंमें फूट नहीं डाल सकती। यदि उसने पीर बादशाह मियाँको गिरफ्तार किया है तो उसने डाक्टर बनर्जी, नृपेन बाबू और बाबू सेनगुप्तको भी पकड़ा है। जहाँ उसने श्री याकूब हसनको पकड़ा है वहाँ डाक्टर वरदराजुलुको भी गिरफ्तार किया है। लेकिन यदि सरकार सभी प्रमुख मुसलमानोंको जेलमें डाल ही देती है तो इससे तो दोनों सम्प्रदायोंका एका और भी मजबूत हो जायेगा और हिन्दुओंको खिलाफतकी लड़ाई अकेले चलानेका अद्वितीय मौका मिल जायेगा। यदि हिन्दुओंमें कुछ भी बल होगा तो वे शान्ति और सम्मानपूर्ण तरीकोंसे सरकारको इस बात के लिए मजबूर कर देंगे कि वह उनको भी जेलमें डाल दे।

सराहनीय दान

पाठकोंने मेरे नाम छोटानी मियाँका वह पत्र जरूर देखा होगा जिसमें उन्होंने एक लाख चरखे देने की बात कही है। इतनी उदारतापूर्ण सहायता देनेके लिए छोटानी मियाँ हार्दिक बधाईके पात्र हैं। मैंने उन्हें यह बतानेकी चेष्टा की है कि इस प्रयोजनके लिए उन्होंने जो धन रख छोड़ा हो उसका उपयोग वे किस प्रकार कर सकते