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टिप्पणियाँ

 

कूकी कबायली

मैंने अपनी असम-यात्रा के दौरान कूकी कबायलियोंका जो उल्लेख किया था मेरे एक मित्रने उसके सम्बन्धमें निकाली गई एक सरकारी विज्ञप्ति भेजी है। मुझे अफसोस है कि मैं उस टिप्पणीको प्रकाशित होने के बाद बहुत दिनतक नहीं देख सका। परन्तु कुछ भी हो, मैं जो-कुछ लिख चुका हूँ उसका कोई भी अंश वापस लेनेके लिए तैयार नहीं हूँ। मुझे जिन लोगोंसे वह जानकारी मिली थी उनका कहना था कि वास्तविक तथ्य दबा दिये गये हैं। यदि कांग्रेसने जाँच न की होती तो मार्शल-लॉके अन्तर्गत की गई पंजाब सरकारकी अमानुषिक करतूतोंका पता किसे चलता? जब-तक केई और मेलिसनने पर्दाफाश नहीं किया था तबतक जनताको इस बातका क्या पता था कि १८५७ के विद्रोहके दौरान सेनाने क्या-क्या जुल्म ढाये थे। हमारे पड़ोसियोंको सजा देने के लिए समय-समयपर जो अभियान किये जाते हैं उनके वास्तविक तथ्य किसे मालूम हैं? मैं यह कह सकता हूँ कि सैनिक भरतीके अन्धकारपूर्ण दिनोंमें पंजाबमें जो अत्यन्त नृशंसतापूर्ण अत्याचार कि ये गये थे उनके बारेमें जनताको अब भी कोई जानकारी नहीं है; और यदि कुछ है तो अधिक नहीं है। मेरे पास वे सबूत मौजूद हैं जो मैंने पंजाब सरकारके सामने पेश किये थे, लेकिन मैंने जनताके सामने नहीं रखे हैं क्योंकि समय कम होने से व्यौरेकी जिन बातोंका पता चला था उनके बारेमें मैं आगे जाँच नहीं कर पाया था। मैंने ऐसे खण्डन बहुत देखे हैं जिनकी असत्यता प्रामाणोंके आधारपर सिद्ध करना शायद सम्भव न हो। इसलिए मैंने सोच-समझकर असमके अत्यन्त प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रमाणोंको ही माना है; उसकी तुलनामें सरकारकी ओरसे दिये गये अधिकृत किन्तु स्वार्थ-प्रेरित वक्तव्यको नहीं माना है और मैं कूकी कबायलियोंके सम्बन्ध में लिखी गई अपनी उस टिप्पणीपर अनिच्छापूर्वक कायम रहने के लिए मजबूर हूँ जिसका खण्डन स्थानीय सरकारने किया है।

‘स्टेट्समैन’ के एक संवादाताने कूकियोंको बेहद बुरा गया है। मुझे उस कबीलेके लोगोंके बारेमें कुछ भी पता नहीं है। मैं उनका समर्थन नहीं करता। हो सकता है कि वे जितने खराब बताये गये हैं उससे भी ज्यादा खराब हों। परन्तु यदि मैं दण्ड देनेके लिए भेजे गये अभियान दलका नायक होता तो मुझे सूचना देनेवालोंके कथनानुसार, जो अत्याचार इस अभियान-दलने किये हैं, मैं उनका अपराधी न होता।

कर्मचारियोंके लिए

एक पत्र-लेखकने पूछा है:

रेलवे कम्पनियों, यूरोपीय पेढ़ियों और अन्य ऐसे प्रतिष्ठानोंके कर्मचारियोंको, जो यह नहीं चाहते कि उनके कर्मचारी राष्ट्रीय कोषमें चन्दा दें या खादी पहनें, आप क्या यह सलाह देंगे कि वे कांग्रेसको आज्ञाको स्वीकार कर इस्तीफा दे दें?