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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

दर्द था। उस समय जिला मजिस्ट्रेट श्री स्ट्रांग और संयुक्त जिला मजिस्ट्रेट श्री बरोज वहाँ मौजूद थे। लोगोंने देखा कि अमन सभाका एक खास आदमी प्रहार कर रहा था और जोर जोरसे ‘मारो, मारो,’ चिल्ला रहा था और जब यह मारपीट खत्म हो गई तब वह जिला मजिस्ट्रेटके पास पहुँच गया। स्टेशनके बाहर मारपीट होनेके बाद एक यूरोपीय फौजी अफसर जो कि अनुमानतः गोरखोंका कमांडर था, प्लेटफॉर्मपर आया। पहले तो उसने ऐसा दिखावा किया मानों वह कैदियोंके लिए रिजर्व किये हुए डिब्बेकी ओर जा रहा हो; परन्तु फिर वह एकाएक बायीं ओर मुड़ गया और जो लोग प्लेटफॉर्मपर टिकट लेकर गये थे उन्हें धक्का मार-मार कर हटाने लगा। प्लेटफॉर्मसे जाने या प्लेटफॉर्म खाली करनेकी कोई चेतावनी नहीं दी गई थी और न ऐसी कोई प्रार्थना ही की गई थी। यदि ऐसी भारी उत्तेजनाकी हालतमें लोग शान्त और अहिंसक न रहते तो प्लेटफार्मपर और प्लेटफार्म से बाहर दोनों जगह कितने ही लोगोंकी जाने चली गई होतीं...।
स्थानीय कांग्रेस कमेटी, चटगाँव-संघ और स्थानीय खिलाफत समितिकी एक असाधारण आवश्यक बैठक २१ अक्तूबरको हुई थी जिसमें इस घटनाकी तहकीकातके लिए एक निष्पक्ष जाँच समिति नियुक्त की गई...। जख्मी लोगोंकी तस्वीरें खींचनेके लिए फोटोग्राफर नियुक्त कर दिये गये हैं। अगर आप कृपा करके हमें यह बता देंगे कि इस विषयमें अपनी शिकायतें दूर करानेके लिए हमें क्या कार्रवाई करनी चाहिए, तो हम आपके कृतज्ञ होंगे।
स्वदेशी-आन्दोलन पहलेसे भी अधिक जोरसे चलाया जा रहा है...।
अबतक कांग्रेस-आन्दोलनके सम्बन्धमें ३० लोगोंको सजाएँ दी जा चुकी हैं, जिनमें से २७ अभीतक जेलमें हैं और छः लोगोंके मुकदमे अभी शुरू होने हैं।

ये तथ्य इतने यथार्थ रूपमें दिये गये हैं कि इनके विषयमें अत्युक्तिका सन्देह करना कठिन है। परन्तु हाकिमोंपर उस बेहद संगदिलीका आरोप करना भी उतना ही कठिन है जिसका अनुमान प्रसन्नबाबूके विवरणसे होता है। यह तो स्पष्ट है कि लोग उस समय खुशी मना रहे थे। ईश्वरको धन्यवाद है कि अब हमारे दिलोंसे जेलोंका डर निकल गया है। इसलिए लोगोंने अपने घरोंमें रोशनी की और उन कैदियोंको पहुँचाने के लिए जुलूस निकालकर स्टेशनपर गये। इसमें उनका इरादा दंगा-फसाद करनेका नहीं हो सकता। लेकिन मजिस्ट्रेटको तो इतना ही सहन नहीं हुआ। उसने स्पष्टत: यह सोचा कि इन खुशियोंसे उसकी दी हुई सजाओंका प्रतिरोधक प्रभाव ही समाप्त हो रहा है और आगे चलकर उसे सारे चटगाँवको एक जेलखाना बनाना पड़ेगा तब कहीं ये तमाम लोग जेलमें रखे जा सकेंगे। इसलिए उसने गोरखोंसे प्रहार करवाया। इसके सिवा (यदि पूर्वोक्त रिपोर्टको सत्य मानें) उस पशुता-पूर्ण व्यवहारका, जो उन बिलकुल बेगुनाह खुशियाँ मनानेवाले लोगोंके साथ किया गया, कोई