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सहकार

दूसरा कारण समझमें आना कठिन है। यह भी स्पष्ट है कि कथित अमन-सभाओंके लोग नौकरशाहीके हाथकी कठपुतली बन रहे हैं। निस्सन्देह ये स्थितियाँ अत्यन्त विषम हैं। लेकिन इसके लिए हमें क्या-क्या सहन करना होगा यह तो हमने इस रास्तेपर कदम बढ़ाने के पहले ही समझ लिया था। अब हमें उसे अवश्य सहन करना चाहिए। हमें यह अग्नि-परीक्षा देनी होगी और उसमें से शुद्ध होकर निकलना होगा; तब हम अपने गन्तव्य स्थानपर पाँव रख पायेंगे। चटगाँवके लोगों और नेताओंने ऐसी उद्वेग-जनक स्थितियों में जो उदाहरण-स्वरूप आत्मसंयम और शान्ति-भावका परिचय दिया है उसके लिए वे हार्दिक बधाई के पात्र हैं। मैं उन्हें इसके सिवा दूसरी कोई सलाह नहीं दे सकता कि इससे कठिन संकट उपस्थित होनेपर भी वे अपने सीधे रास्तेपर आगे ही बढ़ते रहें। हमारे पास तो शिकायत दूर करानेका केवल एक ही रास्ता है और वह यह है कि हम ऐसे हर मौकेपर अधिकाधिक साहस और अधिकाधिक आत्मसंयम दिखायें तथा तबतक ऐसा करते रहें जबतक जालिम अपनी ही कोशिशसे थक नहीं जाता। चटगाँवके असहयोगियोंको अमन-सभाके सदस्यों या सरकारी लोगोंके प्रति रोष न करना चाहिए। वे तो सिर्फ अपने स्वभावके अनुसार काम करते हैं। असहयोगीका स्वभाव तो यह होता है कि वह न तो बदला ले और न झुके ही। उसे तो अपने चारों ओर उठते हुए तूफानमें भी अविचल सीधा खड़ा रहना चाहिए। अगर हम सचाईसे गायें और प्रार्थना कर सकें तो यह गीत गायें:

जबतक तेरा वरद हस्त है मेरे सिरपर हे प्रभुवर!
निश्चय ही वह पार लगावेगा प्रति पल आगे रहकर;
कठिन-कँटीले मगसे, डरसे, दुर्गम गिरि, दारुण दुखसे―
बाँह पकड़कर ले जायेगा तिमिर रात्रिमें वह सुखसे। [१]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ३-११-१९२१
 

१६७. सहकार

इस बातकी ओर शायद बहुत कम कार्यकर्ताओंका ध्यान गया होगा कि कताईकी प्रगतिका मतलब है स्वेच्छापूर्ण सहकारका एक ऐसा उदाहरण जैसा दुनियाने कभी नहीं देखा होगा। इसका मतलब है बहुत विस्तृत क्षेत्रमें फैले और अपनी रोजीके लिए काम करते हुए करोड़ों लोगोंका आपसी सहकार। इसमें सन्देह नहीं कि कृषिके लिए बहुत अधिक सहकारी प्रयत्नकी जरूरत रही है, लेकिन हाथ-कताई तो और भी अधिक तथा और भी सच्चे सहकारकी अपेक्षा रखती है; गेहूँका उत्पादन मनुष्य के सच्चे प्रयत्नकी अपेक्षा प्रकृतिकी अनुकूलतापर अधिक निर्भर करता है। लेकिन, हमारी झोपड़ियों में सूतका उत्पादन सिर्फ इस बातपर निर्भर करता है कि मनुष्य कितनी ईमानदारीसे काम करता है। जबतक करोड़ों लोग स्वेच्छा और समझदारीसे आपसमें

  1. कार्डोनल न्यूमैनकी “लीड काइंडली लाइट” कवितासे।