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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जायेगा। इस पत्रके लेखक यह देखेंगे कि स्वराज्य प्राप्त कर लेनेपर हमारे अन्दर यह योग्यता भी आ जायेगी कि हम किसी अन्य कुशासनका भी मुकाबला कर सकें। उस समय, सैडहर्स्टमें प्रशिक्षण पाये बिना भी, हम यह कला सीख जायेंगे कि देश और धर्मके लिए जानकी बाजी कैसे लगाई जाती है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ३-११-१९२१
 

१७२. भाषण: सविनय अवज्ञापर[१]

४ नवम्बर, १९२१

श्री गांधीने प्रस्ताव पेश करते हुए[२]...कहा कि अगर मुझसे पूछा जाये कि पिछले दस महीनेमें भारतने कितनी प्रगति की है तो मैं निस्संकोच कहूँगा, इस बीच उसने जबर्दस्त प्रगति की है। अगर आप सिर्फ इसी बातका अन्दाजा लगाने बैठें कि प्रगति कहाँतक हुई है, तब तो आप हर तरहसे गर्वका अनुभव कर सकते हैं, लेकिन अगर कोई मुझे एक वैद्यकी हैसियतसे स्वराज्य-प्राप्तिके लक्ष्यको दृष्टिमें रखते हुए इस प्रगतिका अन्दाजा लगानेको कहे और पूछे कि हम जिन तीन रोगोंसे पीड़ित हैं, उनसे छुटकारा पानेके खयालसे यह प्रगति पर्याप्त है या नहीं तो मुझे स्वीकार करना पड़ेगा कि जरूरतको देखते हुए अभी बहुत कम प्रगति हुई है। इसीलिए सविनय अवज्ञाका प्रस्ताव पेश करते हुए मुझे एक बार फिर पूरा जोर देकर कहना पड़ता है कि अबतक असहयोग कार्यक्रमके अन्तर्गत जो-कुछ करनेको कहा गया है, उसे पूरी तरह कर दिखाना है, और खासकर वह सब जिसका उल्लेख इस प्रस्ताव है। इसके बाद उन्होंने मौलाना मुहम्मद अलीके निजी सचिव द्वारा भेजा गया तार पढ़ा, जिसमें बताया गया था कि उनके साथ आम कैदियोंकी तरह व्यवहार करनेके कारण उन्हें कितनी तकलीफें उठानी पड़ रही हैं। अतः श्री गांधीने सभीको आगाह किया कि अगर सविनय अवज्ञा प्रारम्भ करनी हो तो काफी सोच-समझकर ही वैसा करें। उन्होंने आगे कहा कि हमें सरकारसे किसी प्रकारकी नरमीकी आशा नहीं करनी चाहिए और न ऐसी आशा करनेका हमें अधिकार ही है। न हम सरकारके साथ कोई मुरौवत करनेको तैयार हैं, और न हमें उससे किसी मुरौवतकी आशा रखनी चाहिए। हमारे साथ जितना ही बड़ा अन्याय किया जायेगा, हमें जितनी ही अधिक यातना दी जायेगी और हम जितना ही अधिक धैर्य और अडिग संकल्प दिखायेंगे, हमें उतनी ही जल्दी स्वराज्य मिलेगा।

 
  1. यह भाषण अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी दिल्लीकी बैठकमें दिया गया था।
  2. देखिए “अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी”, १०-११-१९२१।