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भाषण: सविनय अवज्ञापर

 

सविनय अवज्ञाकी परिभाषा करते हुए श्री गांधीन आगे कहा कि यह सविनय क्रान्ति है, जिसका मतलब है कि जहाँ इसका प्रयोग किया जाता है वहाँ सरकारकी सत्ता समाप्त हो जाती है। सविनय अवज्ञा सरकार तथा उसके कानूनोंको खुली चुनौती है। यह एक बहुत बड़ा कदम है, और यद्यपि इस मामलेमें प्रान्तीय संगठनोंको पूरी आजादी दे दी गई है, फिर भी मेरी सलाह है कि अगर गुजरातमें मेरे जिलेमें सविनय अवज्ञा की जाती है तो आप सब अभी जरा रुककर देखें कि में वहाँ क्या करता हूँ, और उसके परिणामोंको देखने के बाद आप उस उदाहरणका अनुकरण करें, जिससे आपकी अद्भुत उपलब्धि देखकर सारी दुनियाकी आँखें खुल जायें। मैं जानता हूँ कि इस समय देशमें व्यापक पैमानेपर सविनय अवज्ञा असम्भव है, इसलिए पूरी तरह तैयार हुए बिना सारे देशकी जनता इसमें शामिल हो, इसके बजाय सिर्फ एक तहसील या जिला ही भली-भाँति तैयार होकर सविनय अवज्ञा प्रारम्भ करे, तो इससे मुझे पूरा सन्तोष प्राप्त होगा। अतः, श्री गांधीने उन्हें सावधानी बरतनेकी सलाह दी और एक तरहसे उनसे तबतक प्रतीक्षा करनेको कहा जबतक वे स्वयं अगले पन्द्रह दिनोंमें गुजरातमें आगे बढ़कर उन्हें नेतृत्व न दें। उन्होंने इस चेतावनीको फिर दुहराया कि प्रस्तावमें जैसा जबर्दस्त कदम उठानेकी बात है, उसे ध्यान में रखते हुए वस्तुस्थितिको पूरी तरह सोचे-समझे बिना कुछ नहीं करना चाहिए, ताकि एक बार जब कदम बढ़ा दिया जाये तो फिर उसे वापस लेनेका सवाल न रहे। . . .

जब श्री गांधीन अपना प्रारम्भिक भाषण समाप्त किया,... प्रस्तावमें बताई शर्तोंको ढीला करनेके लिए...संशोधनोंकी बौछार हो गई...श्री गांधी तथा उनके विचारके समर्थकोंने इस बातपर जोर दिया कि चूँकि हम प्रतिज्ञाबद्ध हैं और ऐसा मानते हैं कि स्वदेशीके कार्यक्रमको पूरी तरहसे सम्पन्न करके ही हम स्वराज्य प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए अगर हम स्वदेशीके कार्यक्रम पूरी निष्ठाके साथ दत्तचित्त रहनेकी बात हटा दें तो उसका मतलब अबतक हम जितना-कुछ बना पाये हैं उसकी नींवपर ही आघात करना होगा। बिना पूरी तैयारीके सारा देश सविनय अवज्ञा करे, इससे तो बहुत बेहतर है कि पूरी तैयारीके साथ सिर्फ एक तहसील या एक जिला ही इसका प्रयोग करे।

बहुत गरमागरम बहसके बाद...स्वदेशी सम्बन्धी सख्त धाराओंको हटानेके उद्देश्यसे पेश किये गये सभी संशोधन अस्वीकृत हो गये...श्री गांधीने कहा कि हमें किसी ऐसे निष्कर्षपर पहुँचना चाहिए जिसे सभी सही मानें और जिसपर अमल करनेके लिए सभी लगन और ईमानदारीके साथ कोशिश करें।[१]...

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, ७-११-१९२१
  1. बैठकमें कार्य-समितिको यह सत्ता दे दी गईं कि वह चाहे तो खास-खास मामलोमें शर्तोंमें ढील दे सकती है।