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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

लालाजीने अपने भाषणके अन्तमें कहा था कि अगले दिसम्बरसे पहले ही वह समय आ रहा है, जब शायद मैं और लालाजी तथा दूसरे लोग भी गिरफ्तार कर लिये जायें। उस हालतमें आपको आगजनी और रेलकी पटरियाँ उखाड़नेपर आमादा नहीं हो जाना चाहिए, अंग्रेज स्त्रियोंको बुरी दृष्टिसे नहीं देखना चाहिए, और न हड़ताल करनी चाहिए। अगर आपने ऐसा-कुछ किया तो उसका मतलब होगा, आप लोग कायर हैं। सच्चा वीर वह है जो शान्त है, अहिंसापर दृढ़ है। आपको अपने क्रोधपर नियन्त्रण रखना चाहिए, आपमें से हरएकको अपना नेता, अपना मार्ग-दर्शक आप ही बनना चाहिए। फिर तो स्वराज्य मिलकर रहेगा। आपको प्रह्लादका दृष्टान्त याद रखना चाहिए। उस बहादुर किशोरने तलवारधारी हिरण्यकशिपुके आगे झुकनेसे इनकार कर दिया था, क्योंकि उसका राम उसके साथ था।

अगर आपका कोई नेता क्रोधी या असहिष्णु बन जाये तो उसे नेतृत्वसे हटा देना चाहिए। आपको अपने भीतर वर्ड्सवर्थके “हैपी वारियर” (“प्रसन्नचित्त योद्धा”) के गुण उतारने चाहिए। फिर तो स्वराज्य पाना कोई मुश्किल काम नहीं रह जायेगा।

स्वराज्यकी दूसरी शर्त है, चरखा। पंजाबमें लोग कहते हैं कि सूत कातना तो औरतोंका काम है। लेकिन इंग्लैंडमें जिसने कताई-यन्त्र ईजाद किया वह हारग्रीव्ज नामक एक पुरुष ही था। इसी तरह कहते हैं, खाना बनाना औरतोंका काम है। पेरिसके एक होटलमें एक रसोइया है जो पाक-शास्त्रका विशेषज्ञ है। वह पाक-कलाका किसी भी स्त्रीसे अधिक बड़ा जानकार है। उसे भारतके वाइसरायके बराबर तनख्वाह मिलती है। मैं नहीं जानता कि वाइसराय महोदयको जितनी मोटी तनख्वाह मिलती है, उसके योग्य वे हैं या नहीं, लेकिन यह अवश्य जानता हूँ कि पेरिसके उस रसोइयेको जितनी तनख्वाह मिलती है, उसके योग्य वह है। आपको याद रखना चाहिए कि कातना आपका कर्त्तव्य है। जिस क्षण आप चरखेका त्याग कर देंगे, समझ लीजिए, उसी क्षण आपने अपने धर्मका भी त्याग कर दिया। अगर आप भारतको स्वतन्त्र कराना चाहते हैं तो चरखेका प्रयोग कीजिए। जबतक आप चरखेको नहीं अपनाते, आप देशकी गरीबी दूर नहीं कर सकते। स्वदेशी बननेका मतलब है शुद्ध स्वदेशी वस्त्रोंका उपयोग करना, न कि मिलके सूतसे तैयार वस्त्रोंका। आपके राष्ट्रीय स्कूलों में कताई और बुनाई सिखाई जाती है। जब सविनय अवज्ञा प्रारम्भ होगी, उस समय पंजाबके हर विद्यार्थीको खद्दर पहनना अपना कर्त्तव्य मानना चाहिए।

लालाजीने मुझे दो शब्द विद्यार्थियोंसे कहनेका हुक्म दिया है। मैं पंजाबके विद्यार्थियोंको याद दिलाना चाहता हूँ कि आपको ब्रिटिश झंडेको सलामी देनेके लिए मजबूर किया गया है। आपको एक-एक दिनमें अठारह-अठारह मील चलनेको विवश किया गया है। मार्शल लॉ के दौरान आपका तरह-तरहसे अपमान किया गया। अतःआपको विदेशी कपड़ेका इस्तेमाल करना हराम समझना चाहिए। अब आपको चरखा और करघा अपना लेना चाहिए।