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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

निस्सन्देह सिन्धका अधिकारी-वर्ग अपनी बुद्धि खो बैठा है। मैं उनके द्वारा की गई ऐसी घोषणाएँ देखता हूँ जिनमें लोगोंको जहाँ और जैसे उनकी इच्छा हो घूमनेकी तथा छड़ीके अलावा और कुछ लेकर चलनेकी मनाही है।

यूरोपीय भी आत्मसंयम खो बैठे हैं। मुझे इसपर आश्चर्य नहीं। बहुतों के बीच में वे मुट्ठीभर हैं। प्रोफेसर वासवानीने दुर्घटनापर शोक प्रकट करते हुए श्री प्राइसको उच्च भावनाओंसे पूरित पत्र भेजा है। वे श्री प्राइससे परिचित थे। श्री प्राइसने उसका रोषपूर्ण उत्तर भेजा। प्रो० वासवानीने फिर पत्र लिखा। श्री प्राइस फिर भी नाराज हुए। मैं अन्यत्र इनके रोचक पत्रव्यवहारमें से दो विशिष्ट पत्र छाप रहा हूँ -- एक श्री प्राइसका, उनका सबसे बुरा पत्र नहीं, और एक प्रो० वासवानीका, शान्त और गाम्भीर्यपूर्ण। दूसरा पत्र असहयोगीकी स्थितिके स्पष्टीकरण के रूपमें भी बहुमूल्य है।

'न्यायके' इस 'स्वांग' से जैसा कि प्रो० वासवानीने इसे कहा है और उसके बादकी घटनाओंसे हमें यही नसीहत लेनी है कि जैसे-जैसे असहयोगकी तेजी बढ़ती जायेगी और सालका अन्त समीप आता जायेगा तैसे-तैसे हमें न्यायके साथ खिलवाड़के ऐसे अनेक अवसरोंके लिए तैयार रहना चाहिए, और निर्दोष व्यक्तियोंकी गिरफ्तारीको बिना क्रोध किये और बिना बदला लिए सहन करनेके लिये भी तैयार रहना चाहिए; और यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो फिर हमें उस विफलताके लिए तैयार रहना चाहिए जिसके कि उस हालतमें हम पात्र होंगे। जब हम अपने ध्येयकी प्राप्तिके इतने निकट पहुँच चुके हैं तब जनसमुदायोंको वशमें रखनेकी असमर्थताके कारण हमें उससे पीछे हटना पड़े - यह कैसी करुणाजनक स्थिति होगी।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २५-८-१९२१

८. चिरला-पेरला

चिरला-पेरला सच पूछो तो एक गाँव ही है। यह समुद्र के पास ही बसा है; इसकी जलवायु बहुत अच्छी है। कोई १५००की घनी आबादी है। यह आन्ध्र प्रदेशमें है, और श्री० गोपाल कृष्णय्या नामके एक बहुत बुद्धिमान और स्वार्थत्यागी नेता उसमें रहते हैं। अपने अध्यवसाय और त्यागके बलपर उन्होंने वहाँके लोगोंको बिना दिक्कत के एकताके सूत्रमें बाँध रखा है। वहाँका नागरिक शासन अब भारतीय मंत्रीके अधीन है। उसने पिछले सालसे वहाँके बहादुर लोगोंपर रौब जमाना शुरू किया है। उनपर एक बेजा और कष्टकर व्यापारिक अनुमति-पत्र लेनेकी बाध्यता लादी गई। पर लोगोंने इसका उत्तर अनुमति पत्र लिए बिना ही अपना व्यापार जारी रखकर दिया। फल यह हुआ कि मुखालिफत करनेवाले लोगोंपर मामला चला और सजाएँ हुई। उनमें एक बूढ़ी स्त्रीको भी जेल जाना पड़ा। सरकार वहाँ लोगोंपर नई नगरपालिकाका बोझ लादनेकी कोशिश कर रही है। लोगोंने इसका विरोध किया है। परन्तु जिस मन्त्रीने, लोकमतका अत्यन्त विरोध होते हुए भी मन्त्रित्वका पद ग्रहण किया हो वह इसके