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आप जेलमें बन्द कर दिये गये तो यह आन्दोलन रसातलको चला जायेगा या तहस-नहस हो जायेगा?

सरकारके मनका विचार जानना तो कठिन है। मैं तो यह भी नहीं कह सकता कि उसके मन भी है। मेरा अनुमान तो यह है कि सरकार इस आन्दोलनके नैतिक बलको अनुभव करती है और उसे हिंसाके विस्फोटका भय है भी। उसके मनमें अभी तक यह भय है, यह हमारे लिए कोई श्रेयकी बात नहीं है। अगर हम यह सुनिश्चित कर दें कि चाहे कैसी ही उत्तेजनाका मौका क्यों न हो, हम कभी हिंसाका आश्रय न लेंगे तो स्वराज्य हमारे लिए उसी क्षण तैयार है। इस दिशामें बेशक हम काफी रास्ता तय कर चुके हैं, और इसीसे मेरा यह विश्वास दृढ़ होता जाता है कि स्वराज्य इसी सालमें स्थापित हो जायेगा। यदि मेरी गिरफ्तारीसे आन्दोलनकी रफ्तार धीमी पड़ गई या वह नष्ट-भ्रष्ट हो गया तो मुझे अत्यन्त निराशा और व्यथा होगी। परन्तु, इसके विपरीत, मेरी धारणा तो यह है कि मेरी गिरफ्तारीसे तमाम काहिली दूर हो जायेगी और हमारे कदम तेजीसे आगे बढ़ने लगेंगे।

अल्पसंख्यकोंका हित

इस जिज्ञासु पत्र-लेखकका अन्तिम प्रश्न है:

इस बातका क्या निश्चय है कि स्वराज्य प्राप्त हो जाने के बाद बहुसंख्यक सम्प्रदाय पारसियों-जैसे अल्पसंख्यक सम्प्रदायोंकी बात चलने देंगे? हम प्रायः अच्छे सम्बन्धोंकी दुहाई तो देते रहते हैं, परन्तु इस बातको परखनेकी पक्की कसौटी क्या है कि स्वराज्यको संसदमें जातीय पूर्वग्रह हावी नहीं होंगे?”

यह आन्दोलन अपनी कसौटी आप है। यह आन्दोलन विचारोंके स्वतन्त्र विकास पर आधारित है। यह आन्दोलन शुद्धिपर आधारित है और यदि कोई विकारोंसे मुक्त राष्ट्र तुच्छ पूर्वग्रहोंसे प्रेरित होकर कार्य करता है तो वह उचित ही समस्त मानव-जातिका धिक्कार पानके योग्य है। इसके अतिरिक्त हम जो उपाय काममें ला रहे हैं उनसे सभी हितोंको आत्म-रक्षाकी शक्ति प्राप्त हो जाती है। असहयोगका रहस्य ही यह है कि वह कमजोरसे-कमजोर व्यक्तिको आत्म-निर्णय और संरक्षणकी शक्ति दे देता है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १०-११-१९२१