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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तरीका है। पंजाबने जो प्रगति की है, उसपर मैं उसे बधाई देना चाहता हूँ, लेकिन उसने इसी वर्ष स्वराज्य पाने लायक प्रगति नहीं की है।

अव्वल तो आप युवराजको यात्राका पूरा बहिष्कार कीजिए। आपकी नगर-पालिकाने इस आशयका एक प्रस्ताव भी पास किया है, लेकिन उस प्रस्तावको वापस करानेकी कोशिश की जा रही हैं। किन्तु, मुझे पूरी आशा है कि आप इस तरह अपनी अप्रतिष्ठा नहीं होने देंगे। नगरपालिकाको में उसके निर्णयके लिए बधाई देता हूँ। हम लोग युवराजके शत्रु नहीं हैं, और न उनका अपमान करना चाहते हैं। महात्माजीने आगे कहा कि अगर किसीने युवराजका बाल भी बाँका करनेकी हिम्मत की, तो आपको अपने प्राणोंकी बाजी लगा कर भी उनकी रक्षाके लिए तैयार रहना चाहिए। यह आपका कर्त्तव्य है। लेकिन भारतके प्रति भी आपका कुछ कर्तव्य है। युवराज यहाँ युवराजके ही रूपमें आ रहे हैं और उनका उद्देश्य वर्तमान सरकारको बल देना है। अगर आपमें तनिक भी मानवता है, देश और खिलाफतसे आपको तनिक भी प्रेम है, या अगर पंजाबके साथ किये गये अन्यायका आपके मनमें कोई खयाल है, तो चाहे कोई आये―युवराज आयें या कोई भी आये―आपको उसकी यात्राका बहिष्कार करना चाहिए। एक बार पूनामें मैंने कहा था, अगर गोखले भी वर्तमान सरकारको बल प्रदान करने के उद्देश्यसे आपके बीच आयें तो आपको उनका कोई स्वागत नहीं करना चाहिए। मुझे आशा है कि पंजाब युवराजका कोई स्वागत नहीं करेगा।

नगरपालिकाने जिस दूसरे सवालकी ओर ध्यान दिया है वह है लॉरेंसकी प्रतिमा, जिसपर ये शब्द खुदे हुए हैं: “तुम कलमके हुक्मपर चलना चाहते हो या तलवारके हुक्मपर? वह दिन आ गया है जब कोई भी भारतको भयभीत नहीं कर सकता। भारतीय न तो किसीकी तलवारसे डरना चाहते हैं और न कलमके हुक्मसे प्रभावित होना चाहते हैं। मैं आपको नगरपालिकाको बधाई देता हूँ। जब आपकी नगरपालिकाने एक काम करना तय कर लिया है तो आप सभी स्त्री-पुरुषोंको एकमत होकर वैसा ही करना चाहिए। हम लॉर्ड लॉरेंसके दुश्मन नहीं हैं, लेकिन हम नहीं चाहते कि प्रतिमापर वे शब्द खुदे रहें। भारतमें अब बातें बदल गई हैं। भारतीय लोग ईश्वरके अलावा और किसीसे नहीं डरते। वे नहीं चाहते कि वह प्रतिमा वहाँ बनी रहे। तो आप सबको एक सभा करके सरकारसे स्पष्ट कहना चाहिए कि “तुम्हें यह प्रतिमा हटानी होगी।”[१]

जैसा कि प्रस्तावमें कहा गया है, आप सब अली-बन्धुओंके रास्तेपर चलेंगे। अगर सरकार अपने अंग्रेज, सिख, गुरखा या पठान सिपाहियोंके बलपर प्रतिमाको रक्षा करना चाहे तो जनताको कहना चाहिए, “हम मरकर भी इस प्रतिमाको हटवायेंगे।” नगरपालिका जिस-किसीको आदेश दे, उसे प्रतिमा हटानेके लिए जानेको तैयार

 
  1. देखिए “कलम था तलवार”, १७-११-१९२१।