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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

मनुष्य बीमारीके अवसरको अन्तर्नाद सुननेका अवसर मानकर इस समयका उपयोग अपना ही निरीक्षण करनेमें करे तो उससे मनुष्यकी शक्ति बढ़ती है।

तुम्हारी तबीयत अच्छी है, इसकी खबर मुझे मोतीलालजीने तार द्वारा दी है।
ईश्वर तुम्हें अपने व्रतोंका पालन करनेके लिए सम्पूर्ण बल दे।
तुम दोनों सुखी रहो और सेवा करो।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ११४१४) की फोटो-नकलसे।

 

१८६. पत्र: ए० एस० फ्रीमैंटलको [१]

[१५ नवम्बर, १९२१ के पश्चात्]

प्रिय महोदय,

आपके इसी १५ तारीखके पत्रके लिए धन्यवाद। मैं ‘यंग इंडिया’ में पूरा पत्र-व्यवहार प्रकाशित कर रहा हूँ। सिर्फ वह पत्र छाँट दिया है जिसमें आपने यह पत्र-व्यवहार प्रकाशित करनेकी अनुमति दी है।

आपका विश्वस्त,

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ७६६३) की फोटो-नकलसे।

 

१८७. भाषण: राजचन्द्र जयन्तीके अवसरपर, अहमदाबादमें

१६ नवम्बर, १९२१

भाइयो और बहनो,

इस अवसरपर मैं आपको एक पुरानी बातका स्मरण दिलाना चाहता हूँ। आप कदाचित् उस प्रसंगको भूल गये हों, लेकिन मैं नहीं भूला हूँ। मेरे विलायतसे लौटनेके बाद अहमदाबादमें इस जयन्तीको मनानेके लिए हम प्रेमाभाई हॉलमें इकट्ठे हुए थे। उस समय मैंने कहा था कि अगर हम शोर मचाते रहे तो जिसकी पूजा करनेके लिए हम इकट्ठे हुए हैं उसकी पूजा नहीं हो सकेगी; उलटे हम उसकी बदनामी करेंगे। बादमें, बहुत मुश्किलसे लोग शान्त हुए थे। उसके बाद तो जमाना गुजर चुका। हमें भी अनेक मीठे-कड़वे अनुभव हुए हैं। सभामें शान्ति बनाये रखने का नियम हम कुछ हद-तक सीखे हैं। सभामें समयपर आयें और आनेके बाद अपने स्थानको न छोड़ें, यह

 
  1. मथुरा जिलेके कलेक्टर।