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१४. भाषण : चटगाँवमें, रेल कर्मचारियोंके समक्ष

३१ अगस्त, १९२१

(असम-बंगाल रेलवेमें जो हड़ताल हुई थी वह कर्मचारियोंने अपना कोई स्वार्थ साधनेके खयालसे नहीं की थी। बल्कि चांदपुरमें चायबागानोंसे निकल कर आये हुए मजदूरोंपर जो अत्याचार किये गये, उनका परिमार्जन करानेके लिए की थी। सरकारने चायबागानके मजदूरोंको चाँदपुर स्टेशनसे मार-मार कर निकाल दिया और उनको उनके घर भेजने से इनकार कर दिया। इससे रेलवेके कर्मचारियोंको बहुत दुःख हुआ। बागान के मजदूरोंसे कर्मचारियोंका कोई सम्बन्ध नहीं था। मजदूर बिहार आदि प्रान्तोंके हैं और रेल कर्मचारी प्रायः बंगालके हैं। अर्थात् इस हड़तालमें रेल कर्मचारियोंका कोई स्वार्थ नहीं था। इन हड़तालियोंसे मैं चटगाँवमें मिला, वहाँ मैंने उनको यह बताया कि उन्हें क्या करना चाहिए। वह भाषण लिखा लिया गया था। इस भाषणमें मैंने जो विचार प्रकट किये थे वे बहुत कुछ उपयोगी हैं, इस कारण, यद्यपि रिपोर्ट पूरी नहीं है और उसमें मैं कोई सुधार या काट-छाँट भी नहीं कर सका हूँ, फिर भी मैं उसे पठनीय समझकर यहाँ देता हूँ।

मोहनदास करमचन्द गांधी)

आप भाइयोंने मुझे जो मानपत्र दिया है, उसके लिए मैं आप सबका आभार मानता हूँ। किन्तु शिष्टाचारकी भाषाका उपयोग करके आपका अधिक समय लेना नहीं चाहता।

आपने हड़ताल की, और इतने दिनोंतक जारी रखी, यह आपने उचित किया या अनुचित किया, इस सम्बन्ध में मैं गहराईसे विवेचन न करूँगा; क्योंकि इसकी मुझे पूरी जानकारी नहीं है। यहाँ आनेपर कल जितना सुना है उतना ही मैं जानता हूँ। उतनेसे मैं इस सम्बन्धमें आपको अपना मत नहीं दे सकता। असम-बंगाल रेलवेकी हड़ताल के सम्बन्धमें 'यंग इंडिया' में मैंने एक बार चर्चा की है। उसका उल्लेख किसी नेताने आपसे किया ही होगा। किन्तु मैंने उसमें भी अपना कोई मत प्रकट नहीं किया है, क्योंकि मेरे पास इतनी सामग्री न थी कि मैं कोई मत दे सकता। मैं यह नहीं जानता था कि आपकी हालत कैसी है, आपके अभियोग क्या हैं। मैं यह भी न जानता था कि आपको हड़ताल करनेका उचित कारण मिला है या नहीं और यह बात मैं अभीतक नहीं जानता। फिर भी मैं यह देखता हूँ कि आपने जो हड़ताल की है वह दूसरी हड़तालों की तरह स्वार्थ के कारण नहीं की गई है। आपने अपने वेतनोंमें वृद्धि करानेके लिए हड़ताल नहीं की है, बल्कि परहितार्थ हड़ताल की है। चाँदपुरमें जो अत्याचार किया गया और यहाँ आपके भाइयोंको जो कष्ट उठाने पड़े उसमें उनके प्रति अपनी सहानुभूति दिखाने के लिए आपने यह हड़ताल की है। मुझे यह बात सूझी ही नहीं थी कि भारत के मजदूरों में दूसरोंके कष्ट निवारणार्थ हड़ताल करनेकी