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भाषण : चटगाँवमें, रेल कर्मचारियोंके समक्ष

शक्ति आ गई है। सब मजदूरोंकी स्थिति ऐसी नहीं है; फिर भी आपने तो यह हड़ताल अपने भाइयोंके दुःखोंके निवारणार्थ ही की है, यह मुझे बताया गया है।

और यदि आपने उनके दुःखोंके निवारणार्थ ही हड़ताल की हो तो जबतक इनके कष्ट निवृत्त न हों, जबतक इन लोगोंको न्याय न मिले, तबतक आपमें से एक भी मनुष्य कामपर लौट कर न जाये, यह आपका कर्त्तव्य है।

इन लोगों के कष्ट दूर हो गये यह कब समझा जायेगा ? चाँदपुरमें किये गये अत्याचारका परिमार्जन हो गया, यह कब माना जायेगा ? जब सरकार पश्चात्ताप करे तब; मजदूरोंको जो मारा-पीटा गया, उसके लिए वह माफी माँगे और बागान-मालिकों के दबावमें आकर उसने मजदूरोंको जो रेलभाड़ा नहीं दिया है वह उन्हें दे दे, तब। जिस कमिश्नरने इन हारे-थके गरीब स्त्री-पुरुषों और उनके बाल-बच्चोंको आधी रात के समय स्टेशन के मुसाफिर खानेसे निकाल देनेका भयंकर आदेश गोरखा सैनिकोंको दिया वह भारतमें ही पैदा हुआ हमारी ही जातिका आदमी है। उसे लज्जित होना चाहिए और स्वयं ही माफी माँगनी चाहिए।

जब इतना हो जाये तब आप फिर कामपर वापस जा सकते हैं। सरकार इतना कर दे; फिर रेलवे कम्पनी आपको बिना नोटिस हड़ताल करनेपर पिछले दिनोंका वेतन न दे, तो वह सहन किया जा सकता है । वह आपकी नौकरी नई नौकरी समझे और आपको कहे कि "ज्यों-ज्यों जगहें खाली होती जायेंगी त्यों-त्यों आपको लेते जायेंगे", और आपसे नई शर्तें भी करा ले -- यह सब सहा जा सकता है; किन्तु यह सब तभी हो सकता है जब सरकार एक बार झुक जाये। जबतक वह नहीं झुकती तबतक आपको चाहे जितना रुपया दिया जाये, आपको चाहे कितना ही समझाया जाये, आप कामपर वापस नहीं जा सकते।

इस हड़ताल में आपको कांग्रेसकी ओरसे रुपया नहीं दिया जाये या नेता लोग आपका साथ छोड़कर खिसक जायें तब भी आपको दीन नहीं बनना चाहिए। जिस मनुष्य के हाथ-पाँव काम देते हैं, उसके लिए दीन बननेकी क्या बात है ? उसे तो किसीका तनिक भी आश्रित हुए बिना स्वावलम्बी ही रहना चाहिए। क्या मैं और क्या कांग्रेस -- कोई भी क्यों न हों, यदि तुम्हारे नेता हड़ताल करानेके बाद तुम्हारा साथ छोड़कर खिसक जायें तो भी आपको अडिग ही रहना चाहिए। कल आपको जो नोटिस दिया गया है, वह मैंने पढ़ा है। उसमें यह लिखा है :

"आपमें से अनेक लोग कामपर वापस आ गये हैं। आप भी जल्दी कामपर लौट आयें। हम आपकी भलाईके लिए ही यह कहते हैं। कुछ गैर-जिम्मेदार लोगोंने आपसे हड़ताल करवा दी और अब वे आपके पाससे खिसक गये हैं। आप उनके बहकानेसे गुमराह न हों। यदि आप कामपर लौटने में विलम्ब करेंगे तो आपकी नौकरी भी चली जायेगी।"

आपको इस नोटिससे घबरानेकी जरूरत कतई नहीं है। आपको नौकरीपर नहीं जाना है । जो लोग चले गये हैं, उन्हें जाने दें; उन्होंने यह काम अनुचित किया है। अब आप अपनी नाक रखें।