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टिप्पणियाँ

इस शर्मनाक हत्याकाण्डको लोगोंसे छिपानेका प्रयत्न किया गया था, यद्यपि उसे जानते तो सब हैं। तब कोई आश्चर्य नहीं कि असम में परिस्थिति इस हदतक पहुँची है कि उसकी स्थायी राजधानी समुद्र तल से ४००० फुट ऊपर है। नीचे मैदानमें तो उसका कोई सदर मुकाम है ही नहीं। मुझे बताया गया है कि शिलांग तो व्यवहारतः यूरोपीयोंकी ही बस्ती है। और वहाँकी सरकार अपनी अगम्य ऊँचाइयोंसे कभी नीचे उतरती ही नहीं।

नगरपालिकामें खादी

रायपुर (मध्यप्रान्त) की नगरपालिकाने बहुमतसे नीचे लिखे प्रस्ताव पास किए हैं--

१ अगस्त, १९२१ से नगरपालिका स्कूलोंके तमाम लड़कोंको राष्ट्रीय पोशाक -- खादीका कोट या कुरता और खादीकी टोपी -- पहनना चाहिए।

तमाम नगरपालिकाके स्कूलों और दफ्तरोंमें १ अगस्त, १९२१ को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलककी बरसीके उपलक्ष्यमें छुट्टी रखी जाये।

नगरपालिका अपने तमाम नौकरोंसे उम्मीद करती है कि वे देशी कपड़ा बरतेंगे।

नगरपालिकाके नौकरोंको खादीकी वर्दी दी जाये।

रायपुरकी नगरपालिकाने अपने अधिकारोंका बहुत ही बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग किया है। इसमें कोई शक नहीं कि हरएक नगरपालिका, पूरी असह्योगवादी हुए बिना भी, असहयोगके तमाम विधायक स्थायी अंगोंको अपना सकती है। ऊपरके प्रस्तावोंमें ऐसा एक भी प्रस्ताव नहीं है जिसपर कोई किसी भी प्रकारका आक्षेप कर सके। जो नगरपालिका स्वदेशीको अपनायेगी, अपनी कार्रवाई अपने प्रान्तकी भाषामें करेगी, दबी हुई जातियोंको ऊपर उठायेगी, शराबकी बिक्री तथा वेश्याओंके धन्धेको बन्द करेगी, वह मानो राष्ट्रीय शुद्धिके काममें मदद देगी। और, तभी यह कहा जा सकेगा कि हाँ, नगरपालिका हो तो ऐसी हो।

खादीके नाशका प्रयत्न

खादी टोपी के ऊपर भारतके भिन्न-भिन्न प्रान्तोंमें सरकारी अधिकारियोंने जो प्रतिबन्ध लगाया है उससे तो हम लोग परिचित ही हैं। मैंने सुना है कि बिहार में एक मजिस्ट्रेटने विलायती कपड़ा बेचनेके लिए, सचमुच फेरी लगानेवालोंको भेजा। पर धारवाड़ में नाम पैदा करनेवाले श्री पेंटर तो और भी आगे बढ़ गये हैं। उन्होंने सरकारी तौरपर एक परिपत्र निकाला है, जिसमें वे कहते हैं--

जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टरके मातहत तमाम अफसरोंको चाहिए कि वे लोगोंको यह बतलायें कि चूंकि हिन्दुस्तान अपने तमाम लोगोंकी जरूरत से कम माल तैयार करता है, विलायती कपड़ेका बहिष्कार करनेसे अथवा उसके जलाने या बाहर भेजनसे कपड़ेके दाम जरूर ही बहुत बढ़ जायेंगे। इसका नतीजा यह हो सकता है कि बड़ी अव्यवस्था फैले और लूटमार हो; और यह सब सरकारके किसी कामसे नहीं, बल्कि श्रीयुत गांधीके आन्दोलनकी बदौलत होगा।