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मोपला उत्पात

हैं। इससे, कहा जाता है कि वे मारते या खून करते जरा भी नहीं हिचकते। उन्हीं के लड़ पड़नेके डरसे जनाब याकूब हसन[१] रोके गये थे और फिर कैद भी कर लिये गये थे। इस बार वे क्यों बिगड़ खड़े हुए, यह बात अभी तो साफ-साफ मालूम नहीं हुई है। कहते हैं कि उन्होंने छ: सरकारी नौकरोंको मार डाला है, जिनमें दो गोरे और चार भारतीय थे। कुछ और भी मारे गये होंगे। उनमें से कोई ५०० आदमी मारे गये हैं। यह भी सुनते हैं कि उन्होंने कितने ही मकानोंको जला डाला और लूट लिया। कालीकट तथा उसके ऊपर के हिस्सेमें आजकल फौजी कानून जारी है। इस तरह अभी मलाबारमें प्रगति रुक गई है और सरकारकी बन आई है। सरकार तो ऐसे उपद्रवोंको दबानेकी कला खूब जानती है। कितने ही बेगुनाह लोग मर चुके होंगे और मरेंगे। सरकारको बुरा कौन कहेगा ? और कहे भी तो सरकार उसे सुनने क्यों लगी?

जो अशान्तिको रोके अथवा उसका शमन कर सके वही सरकार है। मलाबारने दिखा दिया है कि हम असहयोगियोंका प्रभाव अभी पूरा-पूरा नहीं जमा। जो लोगोंको अपने वश कर सके वही सरकार है। हम तो लोगोंको एक ही रीतिसे वशमें कर सकते हैं -- शान्तिसे।

अशान्तिके यानी मार-काटके द्वारा हम विजय प्राप्त करना चाहें तो भी इच्छित काम करने की ताकत हममें होनी चाहिए। उस शक्तिको प्राप्त करनेके लिए हमें क्या करना चाहिए, यह सोचना फिजूल है; क्योंकि इस उपायसे फतह हासिल करना हमारी बुद्धि और अनुमानके बाहरकी बात है।

पर यह तो साफ दिखाई देता है कि हमारी शान्ति भंग हो गई। दो प्रतिकूल वस्तुएँ एक साथ नहीं चल सकतीं। एक तरफसे शान्ति और दूसरी तरफसे अशान्ति हो तो इसमें किसीकी भी जीत नहीं हो सकती।

यह तो पक्की बात है कि हम मोपलाओंके ऊपर असर न डाल सके। उनके दिलोंका इतना परिवर्तन नहीं हो पाया कि जिससे वे अशान्त हों ही नहीं। उनकी अशान्ति तो हमको चौंका देनेवाली है, वह हमारी प्रगतिको रोकती है।

अब, जो लोग यह मानते हैं कि हमारी जीत शान्तिके ही द्वारा हो सकती है, उन्हें तो समझना ही चाहिए कि शान्तिकी रक्षाके लिए हमें दुगुना प्रयत्न करना होगा। हमें यह सदा याद रखना होगा कि अशान्तिको हमें अपने दिलमें भी स्थान नहीं देना है।

दूसरे प्रान्तोंको भी अपने कर्त्तव्यके पालनमें जुट जाना चाहिए। एक प्रान्त भी अगर पूरी कोशिश करे तो इसी सालमें स्वराज्य स्थापित करना नामुमकिन नहीं। अगर दूसरे प्रान्त पिछड़ जायें और सिर्फ एक ही प्रान्त पूरी तरहसे असहयोग करे तो भी मैं इसी सालमें स्वराज्य प्राप्त करना बिलकुल सम्भव मानता हूँ। परन्तु, यदि दूसरे प्रान्तोंमें अथवा किसी एक ही प्रान्तमें अशान्तिके जारी रहनेपर केवल एक ही प्रान्त के शान्त साहससे मैं यह दावे के साथ कहनेकी हिम्मत नहीं करता कि स्वराज्य

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  1. दक्षिण आफ्रिकी भारतीय लोगके मन्त्री।