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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

असम न केवल अपनी जरूरतका सारा कपड़ा खुद तैयार कर सकता है, बल्कि सारे हिन्दुस्तानको भी बहुत-सी खादी दे सकता है।

मालूम होता है कि असम के कांग्रेसके कार्यकर्त्ता बहुत अच्छे हैं। जिनके यहाँ मैं ठहरा हूँ वे असमके 'सेनापति' घरानेके हैं। पुराने बैरिस्टर हैं। भारी जमींदार हैं। विधानसभा के सदस्य थे। बहुत सार्वजनिक सेवाएँ की हैं। अब वे पक्के असह्योगी हैं। मन्त्री हैं। --श्रीयुत बारदोलाई। वे भी पुराने वकील हैं। घरबार और जमीन-जायदाद उनके पास भी काफी है। आपने भी पूरा असहयोग किया है। असमी वकीलोंकी संख्या ७८ है। उसमें १५ लोगोंने वकालत छोड़ दी है और सबके सब असहयोग के काम में लगे हुए हैं। उनके साथ कोई ५०० स्वयंसेवक हैं। उनमें बहुतेरे कालेज छोड़कर आये हुए विद्यार्थी हैं।

असम के लोगोंको अफीम खाने-पीनेकी बुरी टेव है। इसमें वे लाखों रुपया गँवाते हैं। कार्यकर्त्ता लोग कहते हैं कि असहयोगकी हलचलके बादसे अफीम सेवनकी कुटेव बहुत कुछ कम पड़ गई है। कहते हैं कि उससे प्राप्त होनेवाला सरकारी कर कोई २५ प्रति सैकड़ा कम हो गया है। विलायती सिगरेट भी लोग बहुत पीते थे, पर उनमें से अब शायद ही कोई पीते हुए नजर आते हैं। जो लोग पीते हैं वे सिर्फ स्वदेशी बीड़ियाँ पीते हैं। परन्तु यह व्यसन भी हालमें तो छूटता जा रहा है। मुझे यह भी खबर दी गई है कि असहयोग के फलस्वरूप लोग अपने आप सुधार करते जाते हैं।

स्त्रियों की सभा

स्त्रियोंकी अलग-अलग तीन सभाएँ हुई : -- एक मारवाड़ी बहनोंकी, दूसरी असमी बहनोंकी और तीसरी बंगाली बहनोंकी। इनमें असमी और बंगाली बहनें तो अपनी कीमती से कीमती विलायती साड़ियोंकी जगह सादीसे-सादी धोतियाँ पहन कर आई थीं। बहुत-सी बहनें, खादीकी साड़ी अपने पास न होनेके कारण, शर्मिन्दा हो रही थीं; मारवाड़ी बहनें तो बिलकुल विलायती कपड़े पहनकर आई थीं। परन्तु श्री जमनालालजीने[१] मुझसे कहा कि उन बहनोंने भी अब खादीकी साड़ियाँ मँगवाई हैं। इस सभामें मौलाना मुहम्मद अलीकी धर्मपत्नी[२] भी आई थीं। उनकी खादीकी पोशाक देखकर लोग बड़े खुश हुए। उनमें बोलने की शक्ति अच्छी है। उन्होंने खुद, बुरका ओढ़े-ओढ़े, भाषण भी दिया था।

विलायती कपड़ोंकी होली

मैं यह गोहाटीमें बैठे हुए लिख रहा हूँ। गोहाटी असमका मुख्य शहर है। कलकत्तेसे १९ घंटेका रास्ता है। यहाँ एक भारी सभा हुई थी, जिसमें विलायती कपड़े के बड़े भारी ढेरकी होली की गई थी। उसमें मैंने कितनी ही महीन धोतियाँ,

  1. जमनालाल बजाज (१८८८-१९४२ ); प्रसिद्ध गांधीवादी उद्योगपति; जिन्होंने गांधीजीकी रचनात्मक योजनाओंमें भरपूर सहयोग दिया; गांधीजीके निकटतम साथियों और सलाहकारोंमें से एक।
  2. बेगम साहिबा ; देखिए "भाषण: मद्रासमें", १५-९-१९२१ तथा "टिप्पणियाँ", २९-९-१९२१ का उपशीर्षक "एक बहादुर स्त्री"।