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भाषण : पंजाब - सभाकी बैठक में

१२ तारीखतक तो कलकत्ते में रहना है। बादमें क्या करना है यह सोचूंगा। बेजवाड़ा की साड़ियों में अब धोखा जरूर घुसा होगा। अच्छा यही है कि उन्हें हाथ ही न लगाया जाये।

कुमुदबहनको पत्र भेजा सो अच्छा किया। पत्र लिखते रहनेसे उन्हें आश्वासन मिलेगा।

कल बहुत करके महादेव आकर मुझसे मिल जायेंगे।

यहाँ भी तुम्हारी ही उनकी केवल खादी ही पहननेवाली और खूब उत्साही दो बहनें हैं। वे अभी देशबन्धु दासकी[१] बहनको उनके नारी-मन्दिरमें मदद दे रही हैं।

मोहनदासके आशीर्वाद

चि० मणिबन,

द्वारा भाई वल्लभभाई पटेल बैरिस्टर,

भद्र, अहमदाबाद
[गुजरातीसे]
बापुना पत्रो - ४ : मणिबहेन पटेलने


२७. भाषण : पंजाब - सभाकी बैठक में

कलकत्ता,
७ सितम्बर, १९२१

खालसा दीवान एसोसिएशनके ६२, शम्भुनाथ पण्डित स्ट्रीट, भवानीपुर स्थित ठिकानेपर बुधवारकी शामको पंजाब-सभाके तत्वावधान में एक सभा हुई। लाला मेघराज जयने सभाकी अध्यक्षता की। लोग बहुत बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे, जिनमें अधिकांश सिख थे। कुछ मारवाड़ी तथा कुछ सिख स्त्रियाँ भी थीं।

श्री गांधीने अपने भाषणके दौरान कहा कि पिछली बार जब मैं कलकत्ता आया था तब मैंने लोगोंसे तिलक स्वराज्य कोषमें दान देनेकी अपील की थी। और देशभरके कल्याणार्थं तत्काल उसकी अनुकूल प्रतिक्रिया हुई जिसे देखकर मुझे खुशी हुई थी। श्री गांधीने कहा कि मैं चाहता हूँ कि विदेशी कपड़े या तो जला डाले जायें या स्मर्ना भेज दिये जायें। उन्होंने लोगोंसे विदेशी वस्तुओंका पूर्ण बहिष्कार करनेका आग्रह किया और श्रोताओंसे कहा कि आप लोग हाथके कते अर्थात् चरखके सूतसे बुने कपड़े पहना कीजिए। उन्होंने कहा कि यदि सभी लोग स्वदेशी वस्त्र पहननेकी पूरी चेष्टा करें तो मैं सारे भारतके लोगोंको 'स्वराज्य' दिलाने और

  1. चित्तरंजन दास (१८७०-१९२५); वकील, वक्ता और लेखक, कांग्रेसके गया-अधिवेशनके अध्यक्ष, १९२१।