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२८. मारवाड़ी व्यापारियोंसे बातचीत

७ सितम्बर, १९२१

श्री गांधीने १२४ कैनिंग स्ट्रीट, कलकत्तामें रातके समय कपड़के व्यापारियोंकी सभा में चर्चा की। यह बातचीत आधी राततक चलती रही। श्री गांधीने उनसे आग्रह किया कि वे विदेशी कपड़ा न बेचें और इस सम्बन्धमें कोई नया अनुबन्ध न करें। व्यापारियोंने बताया कि वे पहले ही मारवाड़ी उद्योग-मण्डल द्वारा पास किये गये उस प्रस्तावके अनुसार काम करनेको सहमत हो चुके हैं, जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि ३१ दिसम्बर, १९२१ तक वे विदेशी कपड़ा नहीं खरीदेंगे। श्री गांधीने उनसे यह वादा करा लेना चाहा कि वे अब और विदेशी कपड़ा बिना किसी समय-सीमा के नहीं खरीदेंगे। तथापि महात्मा गांधीने उन्हें इस मामलेपर विचार करनेके लिए और समय दिया और १३ तारीख, जिस दिन वे कलकत्ता छोड़नेवाले थे, से पहले उनके बीच भाषण देनेका वचन दिया।

[ अंग्रेजीसे ]
अमृतबाजार पत्रिका,९-९-१९२१


२९. टिप्पणियाँ

अली भाइयोंपर मुकदमा

अली भाइयोंपर मुकदमा चलनेकी अफवाह फिरसे उड़ी है। मुझे उम्मीद है। कि यह खबर गलत होगी। अगर सरकार दरअसल यह चाहती हो कि उसके और प्रजा के बीचका यह मामला गुण-दोष के आधारपर तय हो और इसके लिए लोकमतको परिपक्व बनने दिया जाये तो उसे अली भाइयोंको नहीं छेड़ना चाहिए। परन्तु अगर उनपर मामला चलाया ही जाये और उन्हें कैदकी सजा हो जाये तो भी मुझे आशा है कि लोग अपनी शान्तिको डिगने न देंगे, और अपनी बातपर दृढ़ताके साथ डटे रहेंगे। अलबत्ता, उनके कैद हो जानेसे शान्तिकी रक्षाका काम पहलेसे भी ज्यादा मुश्किल हो जायेगा। इन दो देशभक्त भाइयोंने मुसलमानोंकी तबीयतको जितनी कामयाबी के साथ भड़कने से रोका है उतना और किसीने नहीं। क्या मौका और क्या बेमौका, क्या खानगीमें और क्या आम लोगोंमें, हर जगह और हर स्थानपर उन्होंने 'अहिंसा' का ही उपदेश किया है और खुद भी उसके पाबन्द रहे हैं। यहाँतक कि अपने उन भाषणों में भी, जिनके कुछ अंशोंके मानी हिंसाके पक्षमें लगा देनेका अन्देशा हो सकता है, मैं कह सकता हूँ कि उनका मतलब हिंसासे हरगिज नहीं था। ऐसी दशामें अली भाइयोंपर मुकदमा चलानेके मानी यही होंगे कि सरकार हिन्दुस्तानमें