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सम्पूर्ण गांधी वाड्मय

निकेतनके निवासियोंकों उस दौड़के प्रति सावधान रहता चाहिए जिसमें गुजरातका वह छोटा-सा स्थान क्रियाशील है।

शान्तिनिकेततके बारेमें समराधानकी दृष्टिसे इतना कह देना पर्याप्त है। अपने उस दित्तके वार्ताल्पका[१] विवरण प्रस्तुत करनेका यह न समय है, न स्थान। उसकी कोशिश भी आवश्यक नहीं है। उस समय मैंने जो-कुछ कहा था वह मेरे अन्तस्तलसे ही निकला था। अब मैं खुद भी उसे जोरके साथ पेश नहीं कर पाऊँगा, मैंने अपनी पूरी बात एक बहनके मूँहसे एक ही वाक्यमोें इन शदाब्दोंमें सुनी: उनका कथन यथार्थ है। ” क्या ही अच्छा होता यदि ये अपरिचित महानुभाव उसका विवरण लिखने की बात ही ना सोचते । विवरणमें मूल बात ही व्यक्त नहीं हो पाई।

पुण्यधाम काशीमें

काशीमें जो-कुछ हो रहा है, वह निम्नलिखित तारमें पूरी तरहसे आ गया है:[२] स्वयंसेबकोंकों बीस तारोखकों सज़ा सुनाई गई...अबतक सादी कंद...अब सपर्श्रिम। कामसे इसकार तनहाईकी सजा। साथ ही गन्दगी भूख-प्याससे त्रस्त कृपलानी तथा अन्य यहाँतक कि साधारण पुजरिस आज तीन तारीखसे विरोधमें भूख हड़तालूपर... स्थिति चिन्ताजनक |

आन्ध्रमें

आन्ध्रमें सविन्य अवज्ञाके लिए तैयारीसे सम्बन्धित श्री नरसिहराव द्वारा लिखित खित एक संक्षिप्त लेख पाठकोंके लाभार्थ दिया जा रहा है। साथमें उसकी पूर्तिके विचारसे देशभक्त वेंकटप्पैयाका २ तारीखको लिखा एक पत्र भी दे रहा हूँ:

पुनामें

श्री नरसिंह चित्तामण केलटकर और उनके साहसी सहयोगी आगे बढ़ रहे है। सरकार उन्हें कंद नहीं कर रही है। उसने श्री केलकरपर धरना देनेके अपराधमें ५०) रु० जुर्माना किया है। कहनेकी जरूरत नहीं कि उन्होंने उसे अदा करनेसे इंकार कर दिया। यदि जुर्मानोंके बावजूद श्री केलकर तथा अन्य लोगोंने धरना देना जारी रखा तो उन्हें भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ेंगी। में आशा करता हूँ कि वे सब इस परीक्षा खरे उतरेंगे। राष्ट्रीय उत्थानके लिए धनहानि बरदाइत करना भी उतना ही जरूरी है जितता जनहानि सहना।

सावबरसती जेलमें

जेलमें अधिकारी जो-कुछ कर रहे हैँ उससे ऐसा जान पड़ता है मानो इसकी कोई योजना बता लकी गई हो। जो कराचीमें किया गया उसीके सावरमती जेलमें {{smallrefs

  1. १. देखिए “ भाषण: सत्यागद्द भाश्रम, महमदाबादमें ””, २६-१-१९२२ ।
  2. २. तारके कुछ अंश ही यहां दिये जा रहे हैं ।