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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इसके अलावा, यह असहयोग आन्दोलन स्वावलम्बनकी नींवपर खड़ा है। इसका तो गुर ही यह है—जितनी हमारी शक्ति उतनी हमारी सफलता। हमारी योग्यताके सम्बन्धमें संसार द्वारा दिये गये किसी प्रमाण-पत्र से काम नहीं चलनेका। सफलता तो अपनी एड़ी-चोटीका पसीना एक करनेपर ही मिलेगी। आन्दोलनकी कितनी ही निन्दा क्यों न की जाये, उससे उसका अन्त तबतक नहीं हो सकता जबतक हम खुद ढुलमुल यकीन होकर, निन्दासे घबराकर अपना प्रयत्न छोड़ नहीं बैठते। इसलिए हमें अपने कामपर से ध्यान नहीं हटाना चाहिए। हम तो केवल अपने कामके प्रति सजग रहें और फिर विश्वास रखें कि ऐसा करने से संसार हमारा ध्यान अधिक रखेगा। मुझे तो यह बात भी दरअसल अखर रही है कि कुछ नवयुवकोंको उनके कामोंसे हटाकर 'कांग्रेस पत्रिका' के प्रकाशन और वितरण आदिमें लगाना पड़ रहा है। परन्तु हमारे पास तो इस बातका कोई विश्वसनीय लेखा भी नहीं रहता कि सप्ताह प्रति सप्ताह हमारा काम कितना आगे बढ़ा है। इसलिए यह 'कांग्रेस पत्रिका' भारतमें हमारे कार्यकर्त्ताओंके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी और विदेशोंमें हमारे मित्रोंके लिए तो उपयोगी होगी ही।

कार्य समिति इस कार्यको शुरू कर दिये जानेके लिए प्रायः अधीर हो उठी है और उसने इस पत्रिकाकी व्यवस्था पूरी तरह मुझपर छोड़ दी है। मैं आशा करता हूँ कि पहली पत्रिका अगले हफ्ते प्रकाशित हो जायेगी, और फिर प्रति सप्ताह प्रकाशित होती रहेगी। पत्रिका 'यंग इंडिया' के प्रत्येक ग्राहकके पास भेजी जायेगी और बराय नाम उनसे कुछ लिया भी जायेगा ताकि उसकी छपाई और कागजका पूरा नहीं तो कुछ खर्च निकल आये। 'यंग इंडिया' की पंजीकृत ग्राहक संख्या २५,००० से अधिक है और वह दुनियाके प्रायः सभी भागों में जाता है। उसकी विनिमयसूची बहुत बड़ी है। केवल पत्रिका लेनेवालोंके लिए उसका मूल्य बादमें सूचित किया जायेगा। जो तरीका मैंने सुझाया है उससे कांग्रेसके खर्च में यथासम्भव बचत होगी और साथ ही पत्रिकाका प्रचार भी अधिकसे-अधिक होगा। 'यंग इंडिया' के संचालनमें तो मेरे और मेरे अन्य सहयोगियोंके विचार होते हैं, परन्तु पत्रिकामें किसी व्यक्ति विशेषके विचार न रहेंगे। उसमें खासकर सारे देशमें कांग्रेसकी विविध गति-विधियोंका, उनके विभिन्न विभागों के अनुसार ब्योरा और काँग्रेसके समर्थक और विरोधी दोनों अखबारोंमें प्रकट मतोंका सारांश रहा करेगा। खिलाफत के लिए अलग स्तम्भ रहेगा, जिसमें गत सप्ताह के खिलाफत सम्बन्धी कार्योंका विवरण रहा करेगा। ऐसी पत्रिका तभी सफल हो सकती है जब इसके कार्य में कांग्रेस तथा खिलाफतके तमाम कार्यकर्त्ता सहयोग दें। अतएव जो सज्जन इस कार्य में दिलचस्पी रखते हों वे अपने सुझाव और समाचार सम्पादक, 'कांग्रेस पत्रिका', मार्फत 'यंग इंडिया' के पतेपर भेजने की कृपा करें। इस विषयकी तमाम चिट्ठी-पत्रियोंपर 'कांग्रेस पत्रिकाके लिए ' शब्द जरूर लिखे जायें, ताकि 'यंग इंडिया' की और पत्रिकाकी चिट्ठियोंमें गड़बड़ न हो। सबसे पहले मैं चाहता हूँ कि सभी प्रान्तीय कमेटियाँ अपने-अपने प्रान्तोंके सदस्योंकी संख्या, गाँव और जिलेके संगठनोंकी संख्या, राष्ट्रीय अखबारोंके नाम और पते, राष्ट्रीय शिक्षा-संस्थाओंकी संख्या और पिछले छः महीनोंकी उनकी औसत