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सरकार द्वारा प्रतिवाद

हाजिरी, पंचायतोंकी तादाद तथा असहयोग आन्दोलन सम्बन्धी तमाम सूचनाएँ लिखकर भेज दें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९–३–१९२२
 

२१. सरकार द्वारा प्रतिवाद

अलीगढ़की घटना

सम्पादक
'यंग इंडिया'
प्रिय महोदय,
आपने भारत सरकारके नाम प्रेषित अपने पत्रमें "गैर-कानूनी दमन" की सात मिसालें दी हैं जिनमें से एक अलीगढ़में पुलिस द्वारा स्वयंसेवकोंके साथ किये गये व्यवहारकी है। आपका कहना है कि स्वयंसेवकोंने उसके योग्य कोई अपराध नहीं किया था और न ही कुछ और किया था। मैंने सरकारकी ओरसे इस विषय में अलीगढ़ के कलेक्टरसे पूछताछ की। उन्होंने जवाब दिया कि यह आरोप बिलकुल झूठा है। आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप उनके निम्न वक्तव्यको प्रकाशित कर दें :
"यह सच है कि [लाठी] प्रहार हुए और उनके निशान भी उछल आये। लेकिन यह सब गैर-कानूनी भीड़को तितर-बितर करते समय हो किया गया और सो भी असाधारण रूपसे कम। किसी भी घायल व्यक्तिने मुझसे शिकायत नहीं की और यदि लोगोंको वाकई कोई शिकायत होती तो अलीगढ़के असहयोगी भी ऐसी शिकायत करनेके लिए सदा तत्पर रहते हैं।
"पर किसी भी उपद्रवी भीड़की उद्दण्डताको भावनापर विनम्रतासे काबू नहीं पाया जा सकता। सच तो यह है कि अलीगढ़में अभीतक सख्ती की ही नहीं गई और उपद्रवोंको ज्यादासे ज्यादा नरमीके साथ शान्त किया गया है। शुरू-शुरू में जब स्वयंसेवकोंने गड़बड़ी करने और आतंक फैलानेकी कोशिश की थी, तब थोड़ा बल-प्रयोग जरूर करना पड़ा था। तबसे उसके बाद शहरमें किसी तरह की भी कोई मुठभेड़ हुई हो, सो मुझे नहीं मालूम। यदि यह कहा जा सकता है कि कहीं सद्भावना है तो मैं कहूँगा कि वह यहाँ अलीगढ़में है। पुलिसवाले और यूरोपीय लोग अब शहरमें बेखटके आजादीसे घूम-फिर