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सन्देश : जनताको

है। मेरी नजरमें अबतक जितने अयथार्थ कथन आये हैं, पण्डित सेठी के प्रति व्यवहारसे सम्बन्धित यह अयथार्थ कथन उनमें प्रायः सबसे निकृष्ट है। मैं आशा करता हूँ कि आगे ऐसी कोई अयथार्थ बात नहीं कही जायेगी। पण्डित अर्जुनलालके प्रति सरकार द्वारा किये गये व्यवहारकी सनसनीखेज खबरके प्रचारमें सहायक बननेका मुझे बहुत खेद है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९–३–१९२२
 

२२. सन्देश : जनताको[१]

[अजमेर
९ मार्च, १९२२]

  1. मेरी गिरफ्तारीपर कोई प्रदर्शन या हड़ताल नहीं होनी चाहिए।
  2. सामूहिक सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू न किया जाये और अहिंसाका पालन दृढ़तासे हो।
  3. अस्पृश्यता और मद्यपानके निवारणपर पूरा ध्यान दिया जाये और खद्दरके इस्तेमालको अधिक व्यापक बनाया जाये।
  4. मेरी गिरफ्तारीके बाद, लोग अपनी आशाओंके फलित होनेके लिए हकीम अजमलखाँकी ओर ही निहारें।
[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, १९–३–१९२२
  1. गांधीजी ९ मार्चको अजमेर में अब्दुल बारीसे मिले थे और उन्हें प्रकाशनके लिए जनताके नाम यह सन्देश दिया था। यह लखनऊसे १५ मार्चको समाचारपत्रोंके लिए भेज दिया गया था। गांधीजी १० मार्चको गिरफ्तार हुए थे।