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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि मुझे अभी आपकी योजनापर विचार प्रकट करनेकी बात स्थगित रखनी पड़ी है। पर इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं किसी लम्बे अरसेतक इसे पड़ा रखूँगा। आपने मुझे उदारतापूर्वक काफी लम्बा समय दिया है; परन्तु मैं आपकी उदारताका दुरुपयोग नहीं करूँगा। यदि मुझे विश्राम मिल गया, जिसका मैं अधिकारी हो चुका हूँ, और 'यंग इंडिया' मेरी गिरफ्तारी के बाद भी निकलता रहा तो मेरी यह इच्छा है कि आप स्वयं उसके स्तम्भों में इस विषयकी परिचर्चा शुरू करें।

हृदयसे आपका,

बाबू भगवानदास
सेवाश्रम
सिगरा [बनारस]

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७९८६) की माइक्रोफिल्मसे।
 

३४. पत्र : मु॰ रा॰ जयकरको[१]

सत्याग्रहाश्रम
साबरमती
१० मार्च, १९२२

प्रिय श्री जयकर,[२]

मेरी हार्दिक कामना है कि आप [शीघ्र ही][३] पूर्णतः स्वस्थ हो जायें।

आपका लम्बा पत्र[४] मिला। उसके लिए धन्यवाद स्वीकार करें। लेकिन मैं जवाबी दलीलें देकर आपको परेशान नहीं करूँगा। जैसा कि आप जानते हैं, मेरे शीघ्र गिरफ्तार हो जानेकी खबर है। पर यदि मैं गिरफ्तार नहीं होता तो मैं आपसे मुलाकात के लिए उत्सुक रहूँगा। मुझे लगता है एक गलतफहमी हो गई है; उसे

  1. गांधीजीके निजी सचिव कृष्णदासने पत्रको निम्नलिखित अग्रिम टिप्पणीके साथ भेजा था "साथ वाला पत्र मुझे महात्मा गांधीने पिछली रातको [१० मार्च, १९२२] अपनी गिरफ्तारीके लगभग डेढ़ घंटे पूर्व लिखाया था। वास्तवमें यह पत्र मैंने आज सवेरे टाइप किया और आपके पास महात्माजीके हस्ताक्षरके बिना परन्तु उनके निर्देशानुसार ही भेजा जा रहा है।"
  2. मुकन्दराव रामराव जयकर (१८७३-१९५९); प्रसिद्ध वकील, राजनयिक और महाराष्ट्र के उदार–दलीय नेता।
  3. ये शब्द मु॰ रा॰ जयकरकी 'दि स्टोरी ऑफ माई लाइफ' भाग १, पृष्ठ ५८५-६ में दिये गये पाठमें हैं।
  4. ७ मार्चका। यह गांधीजीके २ मार्च के पत्रके जवाब में दिया गया था। देखिए खण्ड २२। इसमें कुछ विस्तारसे कांग्रेसको असहयोग योजनापर और विधान परिषदोंमें प्रवेशके प्रश्नपर विचार किया गया था तथा जयकरने गांधीजीसे भेंट करनी चाही थी। देखिए 'द स्टोरी ऑफ माई लाइफ' भाग १, पृष्ठ ५८३-५।