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पत्र : सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजको

जो एकमात्र प्रभावकारी और सफल कार्यक्रम रख सकता हूँ, वह खद्दरका कार्यक्रम है। जब आपने मुझसे यह कहा था कि आप मेरी गिरफ्तारी के बाद नियमित रूपसे कातने लगेंगे, तब मुझे बहुत खुशी हुई थी। मैं तो सिर्फ यही कहूँगा कि जबतक विलायती कपड़ेका बहिष्कार पूर्णरूपसे और हमेशा के लिए नहीं हो जाता, जबतक पंजाब और खिलाफत सम्बन्धी अन्यायोंका निराकरण नहीं हो जाता और जबतक स्वराज्य हासिल नहीं हो जाता तबतक हरएक मर्द, औरत और बच्चेको अपना मजहबी फर्ज समझकर रोज चरखा चलाना चाहिए। इसलिए आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप अपने तमाम असरका इस्तेमाल करके अपने मुसलमान बिरादरानके बीच चरखेका प्रचार करें।

[अंग्रेजीसे]
स्पीचेज ऐंड राइटिंग्स ऑफ एम॰ के॰ गांधी
 

४३. पत्र : सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजको

साबरमती जेल
[१३ मार्च १९२२]

प्रिय चार्ली,

आखिर मुझे शान्ति मिल रही है। वह तो मिलनी ही थी। आज भारतमें सर्वत्र जो शान्ति है वह निश्चय ही अहिंसाकी भारी जीत है।

मैं चाहता हूँ कि तुम 'यंग इंडिया' के स्तरको बनाये रखो। मैंने पहले तुम्हें ऐसा तार देनेका विचार किया था कि तुम 'यंग इंडिया' के सम्पादनका कार्य संभाललो। परन्तु हम दोनोंके बीच जो बातचीत हुई थी वह मुझे याद आ गई और मैंने सोचा कि सम्पादककी जगह नाम तो किसी भारतीयका ही होना चाहिए परन्तु क्या तुम नियमित रूपसे लिखोगे और यथावकाश कभी-कभी साबरमती जाओगे? तुम क्रिस्टोदास तथा शुएबको अवश्य जानते होगे। तुम्हारा दोनोंसे तुरन्त प्रेम हो जायेगा।

आशा है तुम्हारी जो पेटी खो गई है, उसमें ऐसा कुछ अधिक न रहा होगा जिसे तुम स्मरण न कर सको।[१]

सस्नेह,

तुम्हारा,
मोहन

सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूज
शान्तिनिकेतन
बोलपुर

अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ २६१०) की फोटो-नकलसे।
  1. शायद गांधीजीका आशय यह है कि उस पेटीके खो जानेसे श्री एन्ड्रयूजके जो लेख आदि खो हैं उन्हें वे याद करके फिरसे लिख सकते हैं।